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सामान्य ट्रेन सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए निश्चित तारीख देना संभव नहीं : रेलवे

नई दिल्ली । रेलवे ने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर सामान्य ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए एक निश्चित तारीख बताना संभव नहीं है। यात्रियों की सुविधा के लिए वर्तमान में 61 प्रतिशत से अधिक रेलगाड़ियां विशेष ट्रेन के रूप में चलाई जा रही हैं। कोविड-19 महामारी के कारण रेलवे को पिछले साल के मुकाबले 87 प्रतिशत कम आय हुई है। रेलवे ने राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) में 2024 तक वेटिंग लिस्ट के प्रावधान को खत्म करने की योजना तैयार की है।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने बताया कि वरिष्ठ रेलवे अधिकारी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और सामान्य ट्रेन सेवाओं को चरणबद्ध तरीके से “धीरे-धीरे” फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रेलवे महाप्रबंधकों (जीएम) को निर्देश दिया गया है कि वह राज्य सरकार से बात करके यात्री ट्रेन चलाने पर विचार करें। असल में अभी भी कोरोना संकट चल रहा है, उसी का असर है कि वर्तमान में जो रेलगाड़ियां चल रही हैं उनमें भी औसतन 32-40 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी कमी है, यह दर्शाता है कि महामारी का भय अभी भी बना हुआ है।

यादव ने बताया कि लॉकडाउन से पहले रेलवे 1768 रेलगाड़ियां चलाता था, जबकि वर्तमान में 1,089 विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन कर रहा है। यह कुल ट्रेनों का 61 प्रतिशत से भी अधिक है। वहीं कोलकाता मेट्रो में 264 अर्थात 60 प्रतिशत सेवाएं चला रही हैं। मुंबई और चेन्नई उपनगरीय में 3936 सबर्बन सेवाएं चालू हैं। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे हम सामान्य सेवा की तरफ बढ़ रहे हैं। 21 सितम्बर से 20 जोड़ी क्लोन ट्रेन चलाई जा रही हैं। 20 अक्टूबर से 618 त्योहार स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं। वहीं छोटी दूरी के लिए 131 यात्री ट्रेन चलाई जा रही हैं। इनमें अनारक्षित सीट पर यात्री की अनुमति है।

कोविड के कारण रेलवे को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। यादव ने बताया कि रेलवे को पिछले साल की तुलना में 16 दिसम्बर तक यात्री खंड से कमाई 87 प्रतिशत कम है। चालू वित्त वर्ष में अब तक, यात्री राजस्व से रेलवे की आय 4,600 करोड़ रुपये रही है और अनुमान है कि मार्च 2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

हालांकि, यादव ने कहा कि यात्री खंड में होने वाले नुकसान की भरपाई माल ढुलाई की आमदनी से की जाएगी। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई से कमाई पिछले साल के मुकाबले अधिक होने की उम्मीद है। रेलवे अभी तक माल ढुलाई के पिछले साल की लोडिंग का 97 प्रतिशत हासिल कर चुका है। 30 हजार से अधिक रेल कर्मचारी अभी तक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से अधिकांश स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि कुछ लोगों की मृत्यु हो गई।

यादव ने कहा कि रेलवे राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) में मांग आधारित पैसेंजर ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है ताकि 2024 तक यात्री को वेटिंग लिस्ट नहीं मिले। रेलवे ने इसमें विजन 2024 के तहत माल भाड़े को 2024 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। यह 2019 में 1210 मिलियन टन था। 2030 तक फ्रेट का मॉडल शेयर 45 प्रतिशत पहुंचाना लक्ष्य तय किया गया है।

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