नई दिल्ली । देश भर के अस्पतालों में भर्ती मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) से यह पता किया जाएगा कि मरीजों में ओमिक्रॉन (omicron) स्वरूप के कितने म्यूटेशन (mutation) हो रहे हैं और उनका रोगियों पर किस तरह से असर पड़ रहा है? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने इसी तरह का एक अध्ययन पिछले वर्ष दूसरी लहर के दौरान भी कराया था जिसमें डेल्टा वेरिएंट (Delta Variants) के आक्रामक वायरल लोड का पता चला था। इसी अध्ययन में यह भी पता चला कि कोरोना संक्रमण की चपेट में 10 में से 2 मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की स्थिति आ रही है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में ओमिक्रॉन के मामले काफी बढ़ रहे हैं लेकिन अस्पतालों में भर्ती होने की औसतन दर राष्ट्रीय स्तर पर पांच फीसदी से नीचे ही देखने को मिल रही है। हालांकि आगामी दिनों में भी यह स्थिति बरकरार रह सकती है, इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसलिए ओमिक्रॉन की गतिविधियों को समझने के लिए यह अध्ययन बहुत आवश्यक है।
एक भी राज्य ने पूरा नहीं किया जांच लक्ष्य
अभी तक हर माह पांच फीसदी सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजना अनिवार्य था लेकिन एक भी राज्य ने बीते एक वर्ष में इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया है। अब देश में बढ़ती कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए मंत्रालय ने मरीजों पर अध्ययन शुरू करने का फैसला लिया है।
कोरोना से 30 लाख मौतों की रिपोर्ट भारत सरकार ने नकारी
भारत में कोरोना वायरस से फैली महामारी की पहली दो लहरों में करीब 30 लाख मौतों का दावा करने वाली एक रिपोर्ट का केंद्र सरकार ने शुक्रवार को खंडन किया। सरकार ने कहा कि मीडिया में इसे लेकर प्रकाशित रिपोर्ट शरारतपूर्ण, निराधार, गलत जानकारियों पर आधारित और भ्रामक हैं। सरकार ने कहा कि जन्म व मृत्यु पंजीकरण की रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की निगरानी में बनी मजबूत व्यवस्था देश में है। यह सभी ग्राम पंचायत, जिलों व राज्यों में लागू है। इन आंकड़ों की गहन जांच होती है। कोविड-19 से मारे गए लोगों की पुष्टि के लिए भी सरकार ने पुख्ता व्यवस्थाएं की हैं।
सरकार के तर्क
विभिन्न राज्यों में कोविड संक्रमण के मामलों व मरने वालों की संख्या में बड़ा फर्क है, रिपोर्ट में सभी राज्यों में समान स्तर पर मौतें मानना सही नहीं है। कोविड-19 मृतकों के परिजनों को सरकार द्वारा वित्तीय मुआवजा दिया जाता है, इसलिए इनकी अंडर रिपोर्टिंग की संभावना कम है।
कोविशील्ड-कोवाक्सिन को मिल सकती है खुली बिक्री की अनुमति कोवाक्सिन और कोविशील्ड को जल्द ही बिक्री का पूरा अधिकार मिल सकता है। भारत बायोटेक और सीरम इंस्टूीट्यूट ने अपने कोरोना रोधी टीकों कोवाक्सिन और कोविशील्ड के लिए नियमित विपणन के लिए औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मांगी है। अभी दोनों कंपनियों के पास इन टीकों की सिर्फ आपातकालीन उपयोग की मंजूरी है।
डीसीजीआई की विशेषज्ञ समिति शुक्रवार को कोवाक्सिन और कोविशील्ड के पूर्ण विपणन अधिकार के लिए भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के आवेदनों की समीक्षा करेगी। सीरम इंस्टीट्यूट ने पिछले साल दिसंबर में कोविशील्ड वैक्सीन के लिए पूर्ण विपणन अधिकार की मंजूरी के लिए आवेदन किया था और भारत बायोटेक ने भी 10 दिन पहले इसके लिए आवेदन किया था। इसके अलावा, भारत बायोटेक ने सूचित किया है कि कोवाक्सिन अब वयस्कों और बच्चों के लिए एक यूनिवर्सल टीका है।
कंपनी ने कहा, कोविड-19 के खिलाफ एक वैश्विक टीका विकसित करने के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है। यही नहीं, लाइसेंस के लिए सभी अहर्ताएं भी पूरी कर ली गई हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की एक और दो जनवरी, 2021 को हुई बैठक में भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोरोना टीकों के सीमित आपातकालीन उपयोग के प्रस्ताव के संबंध में सिफारिशें की गईं थी।
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