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सरकार ने दी PLI योजना को मंजूरी, अब देश में ही बनेंगे लैपटॉप, PC और Tablet, 2 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

नई दिल्ली । सरकार ने देश में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 7,350 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंकड इंसेंटिव (PLI) योजना को मंजूरी दी है. इस योजना के जरिए सरकार का इरादा डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र (Domestic Manufacturing Sector) में ग्लोबल कंपनियों (Global Companies) को आकर्षित करने का है. PLI योजना से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम (Electronics Ecosystem) को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. इस समय ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ रहा है.



इसी के साथ कोरोना महामारी के दौरान घर से काम और घर से पढ़ाई की वजह से देश में पीसी मार्केट (PC market) काफी तेजी से बढ़ रहा है.

क्या है सरकार की PLI योजना
इस नई योजना के तहत अगले चार साल में इन उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) 3.26 लाख करोड़ रुपये और निर्यात 2.45 लाख करोड़ रुपये रहने और इससे 1.80 लाख रोजगार के अवसर बढ़ने का अनुमान है.

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने आईटी हार्डवेयर (IT Hardware) के लिए 7,350 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना (PLI Scheme) को मंजूरी दी है. इसके तहत लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर आएंगे. इस 7,350 करोड़ रुपये की योजना का उद्देश्य भारत को हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग (Hardware Manufacturing) के वैश्विक केंद्र के रूप में पेश करना है.

बाजार के जानकारों का कहना है कि पीएलआई योजना की वजह से टेक दिग्गज एपल (Apple) अपने कुछ आईपैड टैबलेट (iPad, Tablet) भारत में असेंबल कर सकती है. इस तरह की खबरें आई हैं कि एपल भारत में मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) के अवसर तलाश रही है. हालांकि, कंपनी ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है.

इन हाई-टेक आईटी हार्डवेयर गैजट्स के लिए पीएलआई योजना को हरी झंडी से पहले पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग (Telecom Equipment Manufacturing) के लिए 12,195 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी. इस योजना को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है.

एक बयान में कहा गया है कि इस योजना का लाभ आईटी हार्डवेयर विनिर्माण क्षेत्र की पांच बड़ी ग्लोबल कंपनियों और 10 घरेलू ‘चैंपियन’ कपंनियों को दिया जाएगा. बयान में कहा गया है कि इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत अभी इन उत्पादों के आयात पर निर्भर है. बयान में कहा गया है कि इस योजना से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में 2,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आएगा.

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