इंदौर न्यूज़ (Indore News)

30 फीसदी कम्पाउंडिंग के नियमों में शासन ने डाल दिए नए पेंच

फिलहाल 10 फीसदी का ही मिल सकेगा लाभ, शेष 20 फीसदी हिस्सा टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए खरीदना पड़ेगा, मगर स्पष्टता ही नहीं और अचानक शासन ने नोटिफिकेशन जारी कर डाला

इंदौर। शासन ने 10 की बजाय 30 फीसदी तक हुए अवैध निर्माणों को वैध करने के लिए कम्पाउंडिंग (compounding) की प्रक्रिया शुरू करवाई। सबसे ज्यादा इंदौर में निगम को आवेदन मिले और उसके खजाने में 100 करोड़ (100 Crore) तक जमा भी हो गए। मगर अब अचानक 3 अक्टूबर को शासन के नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने एक नया नोटिफिकेशन (Notification) जारी कर दिया, जिसमें कम्पाउंडिंग (compounding) की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण संशोधन कर दिए, लेकिन वे इतने जटिल हैं कि अभी उसका पालन हो ही नहीं पाएगा, जब तक कि शासन अलग से उसका खुलासा ना करे। अब 10 फीसदी तक ही कम्पाउंडिंग निगम के जरिए होगी।


वहीं, शेष 20 फीसदी कम्पाउंडिंग कराने के लिए टीडीआर सर्टिफिकेट इस्तेमाल करना पड़ेगा। मगर उसका रिसीविंग एरिया कौन-सा होगा और किस तरह सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते 30 फीसदी कम्पाउंडिंग की चल रही प्रक्रिया में शासन ने नया पेंच डालकर उसे जटिल बना दिया है। निगम चुनाव से पहले  20 जुलाई को शासन के विधि और विधायी कार्य विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी कर 10 की बजाय 30 फीसदी तक अवैध निर्माणों की कम्पाउंडिंग का प्रावधान इंदौर सहित प्रदेशभर में लागू कर दिया। इसी नोटिफिकेशन में अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी दी गई। नतीजतन 30 फीसदी कम्पाउंडिंग के आधार पर नगर निगम को धड़ाधड़ आवेदन आवासीय और व्यावसायिक बिल्डिंगों के आने लगे, जहां पर नक्शे के विपरित अधिक निर्माण कर लिया था। हालांकि कम्पाउंडिंग की प्रक्रिया में यह प्रावधान किए गए कि सरकारी, प्राधिकरण या अन्य विवादित जमीन पर बने निर्माण के अलावा पार्किंग, एमओएस के उल्लंघन के मामले में कम्पाउंडिंग नहीं हो सकेगी।  अभी जो नया नोटिफिकेशन 3 अक्टूबर को जारी किया, उसमें आवासीय पर 10 प्रतिशत और व्यावसायिक पर 15 प्रतिशत की दर कम्पाउंडिंग के लिए तय की गई है, जो कि पहले इससे आधी थी, वहीं 10 फीसदी से अधिक कम्पाउंडेबल प्रकरणों में शेष 20 फीसदी हिस्सा टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए खरीदना पड़ेगा। यानी जिनके पास सर्टिफिकेट हैं, वे इस्तेमाल में आएंगे। रियल इस्टेट कारोबारियों की सर्वोच्च संस्था क्रेडाई की इंदौर इकाई के सचिव संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि फिलहाल 10 फीसदी तक ही कम्पाउंडिंग हो सकेगी और शेष के लए नियमों और प्रक्रिया में खुलासे की जरूरत है।

100 करोड़ रुपए तक कमा चुका है निगम कम्पाउंडिंग से

इंदौर चूंकि अवैध कालोनियों और निर्माणों का भी गढ़ रहा है, लिहाजा 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग की प्रक्रिया शुरू होते ही धड़ाधड़ निगम को आवेदन मिलने लगे और पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि इंदौर निगम ने कम्पाउंडिंग के जरिए अर्जित कर ली और 4 हजार से अधिक छोटे-बड़े प्रकरण निराकृत हो गए। नियमों के विपरित आए आवेदनों को निगम ने खारिज कर दिया, वहीं उपयोग परिवर्तन के मामले में भी कम्पाउंडिंग स्वीकार नहीं की गई।

कई बिल्डरों ने 30 फीसदी के मान से कर लिए हैं निर्माण भी

30 फीसदी कम्पाउंडिंग के चलते शहर के कई होशियार बिल्डरों और आर्किटेक्ट ने जो नए प्रोजेक्ट लॉन्च किए, उसमें पहले से ही 30 फीसदी तक अवैध निर्माण कर लेने की गुंजाइश निकाल ली, ताकि इस निर्माण को कम्पाउंडिंग पॉलिसी के तहत वैध कराया जा सके। इनमें से कई प्रोजेक्टों में काम भी शुरू हो गया। मगर अब चूंकि शासन ने अचानक 3 अक्टूबर का नोटिफिकेशन जारी कर दिया, जिसमें जटिलताओं के नए पेंच भी डाल दिए। नतीजतन ऐसे सभी लोग अब उलझन में पड़ जाएंगे।

हर नोटिफिकेशन में शासन इसी तरह की करता रहा है चूक

बीते कई वर्षों से मास्टर प्लान, भूमि विकास नियम से लेकर कम्पाउंडिंग, टीडीआर पॉलिसी सहित रियल इस्टेट से जुड़े हर नोटिफिकेशन में शासन इस तरह की चूक करता रहा है, जिसका खामियाजा कारोबारियों को भुगतना पड़ता है। हर बार नोटिफिकेशन आधे-अधूरे जारी किए जाते हैं, जिनमें नियमों की विसंगति तो रहती ही है, वहीं नगर तथा ग्राम निवेश, नगर निगम से लेकर अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी भी चकरघिन्नी होते हैं। मास्टर प्लान की कई खामियां बीते कई वर्षों से दूर नहीं की जा सकी और यही स्थिति भूमि विकास नियम से लेकर अब कम्पाउंडिंग की पॉलिसी में नजर आ रही है। क्रेडाई के पदाधिकारी खुद बार-बार शासन और संबंधित विभाग को इस संबंध में पत्र लिखते रहे हैं और कम्पाउंडिंग के नए नोटिफिकेशन पर भी क्रेडाई आपत्ति ले रहा है।

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