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    Social Media इनफ्लुएंसर्स के लिए सरकार लाएगी गाइडलाइन, नहीं मानने पर भरना पड़ेगा जुर्माना

  • September 08, 2022

    नई दिल्ली। सोशल मीडिया (Social Media) को प्रभावित करने वालों और उस पर अपनी छाप रखने वाले लोगों और सेलिब्रिटीज (Social Media Influencers) के लिए केंद्र सरकार ने एक गाइडलाइन जारी करने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत हर सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर को अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए तय दिशा-निर्देशों का पालन करना पड़ेगा। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आने वाले 15 दिनों में संबंधित गाइडलाइन जारी कर दिए जाएंगे।

    गाइडलाइन के दायरे में सेलिब्रिटीज भी आएंगे
    जानकारों के मुताबिक इन दिशा-निर्देशों के दायरे में सेलिब्रिटीज को भी लाया जाएगा। इस गाइडलाइन का पालन सभी सोशल मीडिया इंन्फ्लुएंशर्स और सेलिब्रिटीज को करना पड़ेगा। इन दिशा-निर्देशों पालन नहीं करने वालों पर सरकार ने जुर्माना लगाने की भी तैयारी कर ली है।

    सरकार से जुड़े सूत्राें के मुताबिक इस गाइडलाइन को जारी करने करने के लिए सभी स्टेकहोल्डर्श से सलाह-मशविरा का कार्य पूरा किया जा चुका है। एक आधिकारिक सूत्र के मुताबिक उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से इन दिशा-निर्देशों को जारी करने की तैयारी चल रही है। इसमें यह बताया जाएगा कि सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स को क्या करना है या क्या नहीं करना है?

    पैसे लेकर किसी ब्रांड का सोशल मीडिया पर प्रचार करने वालों पर बढ़ेगी सख्ती
    सूत्रों के मुताबिक कई सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स जिनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है वे मीडिया प्लेटफार्म्स जैसे इंस्टाग्राम आदि पर प्रोडक्ट इंडोर्समेंट के लिए पैसे ले रहे हैं। इसलिए सरकार ने अब उन्हें दिशा-निदेर्शों के दायरे में लाने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के तहत अगर किसी सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर ने किसी भी ब्रांड का पैसे लेकर प्रचार किया है तो उन्हें उस ब्रांड के साथ अपने जुड़ाव (एसोसिएशन) की घोषणा करनी होगी। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को पैसे लेकर किसी ब्रांड का प्रचार करने की स्थिति में संबंधित पोस्ट में एक डिस्क्लेमर लगाना होगा।


    ई-कॉमर्स साइट्स पर दी जाने वाली फर्जी समीक्षाओं पर भी लगाम लगाने की तैयारी
    इसके अनुसार उपभोक्ता मामलों का विभाग ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर पोस्ट की गई फर्जी समीक्षाओं पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए एक रूपरेखा विकसित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसे भी जल्द ही जारी किया जाएगा। इसी वर्ष मई महीने में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के साथ विभाग ने ई-कॉमर्स संस्थाओं सहित हितधारकों के साथ उनके प्लेटफार्मों पर नकली समीक्षाओं के असर पर चर्चा करने के लिए एक आभासी बैठक की थी। बता दें कि किसी प्रोडक्ट की नकली समीक्षाएं उपभोक्ताओं को ऑनलाइन उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए गुमराह करती हैं।

    प्रोडक्ट के समीक्षक और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी तय करना जरूरी
    उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इस मामले में कहा है कि समीक्षक की प्रामाणिकता और प्लेटफ़ॉर्म की जिम्मेदारी ये दो प्रमुख मुद्दे हैं जिन्हें सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि ई-कॉमर्स के कारोबार में जुटी कंपनियों को यह खुलासा करना चाहिए कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सबसे प्रासंगिक समीक्षा का चुनाव कैसे करते हैं?

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