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कंगना रनौत के दफ्तर में तोड़फोड़ मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई टली

मुंबई। बॉलीवुड की तेजतर्रार अभिनेत्री एवं सुशांत सिंह राजपूत के तथाकथित सुसाइड कांड को लेकर हमलावर अभिनेत्री कंगना रनौत और शिवसेना शिवसेना सांसद एवं सामना के प्रभारी संपादक संजय राउत के बीच ठनी जुबानी जंग के दौरान मुंबई बीएमसी ने अतिक्रमण का आरोप लगाकर रोक के बावजूद कंगना रनौत के दफ्तर पर बुलडोजर और हथोड़ा चलाकर काफी तोड़फोड़ की थी, जिसको लेकर देशभर में शिवसेना और बीएमसी की काफी फजीहत हुई थी । इस पूरे मामले में महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर भी कंगना के फैंस ने निशाना साधा था । इस मामले को लेकर कंगना रनौत ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बीएमसी से तोड़फोड़ में हुए नुकसान को लेकर दो करोड़ का हर्जाना मांगा था । कंगना की इस याचिका पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई होनी थी, लेकिन अज्ञात कारणों के कारण बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज सुनवाई टाल दी है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़ मामले को लेकर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। गौरतलब है कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने कंगना राणावत को मुंबई में नहीं घुसने देने की धमकी दी थी, जिसको लेकर दोनों के बीच में काफी ट्वीट वार हुआ था। इसके पश्चात कंगना ने 9 सितंबर को धमकियों के बावजूद तय समय पर मुंबई आकर संजय राउत को कड़ी चुनौती दी थी, लेकिन इसी बीच उसी दिन सुबह मुंबई बीएमसी ने कंगना के दफ्तर में जाकर अतिक्रमण विरोधी अभियान के नाम पर उनके दफ्तर में तोड़फोड़ मचा दी थी। जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि उद्धव सरकार और कोर्ट का आदेश था कि 30 सितंबर तक अतिक्रमण होने के बावजूद मुंबई महाराष्ट्र में कोई तोड़फोड़ नहीं की जा सकती , इसके बावजूद सियासी खुन्नस के लिए बीएमसी का तथाकथित तौर पर इस्तेमाल किया गया और कंगना रनौत का दफ्तर तोड़ दिया गया था। कंगना रनौत ने इस तोड़फोड़ की शिकायत महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी की थी। वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के साथ ही साथ भाजपा नेता भी कंगना रनौत के समर्थन में उतर आए थे। चार-पांच दिन मुंबई में रहने के बाद कंगना रनौत अपने हिमाचल प्रदेश के मनाली चली गई थी और फिलहाल वही से ट्विटर के जरिए महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साध रही हैं। कंगना को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी बाय प्लस की सुरक्षा दी थी, जिसको लेकर भी महाराष्ट्र की शिवसेना के नेतृत्व वाली महा आधारी सरकार और नेताओं ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। शिवसेना नेताओं ने तो कंगना को मारपीट तक की धमकी दे डाली थी ,जिस कारण कंगना ने पीएमओ से सुरक्षा की मांग की थी।

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