भोपाल। तमिलनाडु के कुन्नूर (coonoor) के पास हुए हेलिकॉप्टर क्रैश (helicopter crash) में देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) और उनकी पत्नी मधुलिका रावत (Madhulika Rawat) की दुखद मौत हो गई। हादसे के वक्त हेलिकॉप्टर में 14 लोग सवार थे। मधुलिका रावत डिफेन्स वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं। इसके साथ ही वो सेना के जवानों की पत्नियों, बच्चों और डिपेन्डेन्ट के वेलफेयर के लिए काम करती थी। जनरल विपिन रावत की पत्नी मधुलिका मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की सोहागपुर रियासत की बेटी थीं। उनके पिता का नाम कुंवर मृगेंद्र सिंह था। घटना की जानकारी मिलते ही उनका परिवार दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
सीडीएस विपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत शहडोल की थीं। उनकी प्रारंभ की पढ़ाई शहडोल में ही हुई। इसके बाद उन्होंने सिंधिया कन्या विद्यालय ग्वालियर में पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। विपिन रावत से उनकी शादी 1986 में शादी हुई थीं तब विपिन रावत कैप्टन थे। उनकी 2 बेटियां हैं कृतिका बड़ी बेटी जबकि तारणी रावत छोटी बेटी हैं। मधुलिका रावत के दो भाई हैं। बड़े भाई का नाम हर्षवर्धन सिंह जबकि छोटे भाई का नाम यशवर्धन सिंह है। मधुलिका रावत सेना के कई वेलफेयर कार्यक्रमों और अभियानों का हिस्सा रहीं। उन्होंने वीर जवानों की पत्नियों और बच्चों की काफी मदद भी की थी।
मध्य प्रदेश के CDS विपिन रावत का नाता
विपिन रावत का ससुराल शहडोल के सोहागपुर गढ़ी में है। इनके ससुर मृगेंद्र सिंह सोहागपुर इलाके के इलाकेदार हुआ करते थे और कोतमा विधानसभा से 2 बार कांग्रेस से विधायक रहे. विपिन रावत की शादी 1987 में हुई थी. सीडीएस रावत के सास ससुर का देहांत हो चुका है। 2011- 12 में विपिन रावत आखिरी बार शहडोल आए थे। बिपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। उन्होंने लेफ्टिनेंट-जनरल की जिम्मेदारी भी संभाली थी. उनकी मां उत्तरकाशी से विधायक रहे किशन सिंह परमार की बेटी थीं।
CDS बिपिन सिंह रावत को प्रधानमंत्री मोदी के सबसे भरोसेमंद सैन्य अफसरों में गिना जाता था। बिपिन रावत को सीनियर को सुपरसीड कर सेना प्रमुख बनाया गया था। जिस दिन वो सेना प्रमुख से रिटायर हुए थे, उसके अगले दिन सीडीएस बना दिए गए थे। पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन का अभियान चलाया था, जिसमें भारतीय सेना ने NSCN-K के उग्रवादियों को सफलतापूर्वक जवाब दिया था।
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