जबलपुर। मध्य प्रदेश की उच्च न्यायालय (high Court) ने जिला बदर से जुड़े एक मामले में जबलपुर कलेक्टर पर ही 20 हजार का जुर्माना लगाया है।
जस्टिस जीएस आहलुवालिया (Justice GS Ahluwalia) की एकलपीठ ने जिला दंडाधिकारी यानी कि कलेक्टर जबलपुर को 30 दिन के भीतर जुर्माने की रकम हाईकोर्ट की रजिस्ट्री शाखा में जमा कराने के निर्देश दिए है। हाईकोर्ट (high Court) ने इस बात को भी स्पष्ट किया है की याचिकाकर्ता चाहे तो इस रकम को स्वयं ले सकता है। हाईकोर्ट ने जिला दंडाधिकारी द्वारा 28 जुलाई 2020 को जारी उस आदेश को भी निरस्त कर दिया। जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की गई थी।
बता दें कि जबलपुर (Jabalpur) के डुमना रोड स्थित ककरतला में रहने वाले रज्जन यादव पर विभिन्न आपराधिक प्रकरणों के एवज में कलेक्टर ने यानि जिला दंडाधिकारी ने 16 नवंबर 2016 को जिला बदर की कार्रवाई की थी, इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने 26 मार्च 2018 को याचिकाकर्ता के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की अनुशंसा की, कलेक्टर ने 29 सितंबर 2018 को रज्जन के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई के तहत जबलपुर सहित मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सिवनी, कटनी, दमोह और उमरिया जिले में जिला बदर का आदेश पारित किया, इस आदेश के खिलाफ संभागायुक्त के समक्ष अपील पेश की गई, संभागायुक्त ने यह कहते हुए कलेक्टर का का आदेश निरस्त कर दिया कि उन्होंने इस दौरान याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया और पुलिस कर्मियों के बयान भी दर्ज नहीं किए।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक विशेष टिप्पणी भी कि है उन्होंने कहा है कि कलेक्टर ने आदेश जारी करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया, जिला दंडाधिकारी के आदेश से स्पष्ट है कि उन्होंने दुर्भावनावश यह कार्रवाई की है, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इसके पहले भी कलेक्टर ने जो जिला बदर का आदेश पारित किया था. उससे स्पष्ट है कि उन्होंने प्रकिया पालन में केवल औपचारिकता निभाई है, कोर्ट ने स्प्ष्ट किया है कि पूर्व आदेश की कॉपी को कट और पेस्ट करने और अतार्किक फैसले को स्वीकृति नहीं दी जा सकती. ऐसे में इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने कलेक्टर पर ही 20 हजार का जुर्माना लगा दिया। Share: