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हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जबाब, पुराने आईटी नियमों के बदले बिना नये नियम क्‍यों किये लागू?


इसी साल फरवरी में भारत सरकार (Indian government) ने नए आईटी कानून को मंजूरी दी है और 26 मई से आईटी कानून 2021 प्रभावी है। नए आईटी कानून को लेकर सोशल मीडिया और टेक कंपनियों को तो आपत्ति है ही, अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने नए आईटी कानून को लेकर सरकार को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट (High Court) ने केंद्र सरकार से पूछा है कि 2009 में लागू हुए आईटी कानून को बदले बिना आईटी कानून 2021 को क्यों लागू किया गया?

दरअसल पत्रकार निखिल वागले और लीफलेट नाम की वेबसाइट ने नए आईटी कानून पर अंतरिम रोक लगाने को लेकर याचिका दाखिल की थी जिसकी सुनवाई करने के बाद चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।



याचिका में कहा गया है कि नए आईटी कानून के प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से परे हैं। नया आईटी कानून संविधान के अनुच्छेद 19 (2) का उल्लंघन करता है। द लीफलेट के अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने नए आईटी कानून पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है। खंबाटा का कहना है कि इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी कंटेंट पर खुलकर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।

नया कानून प्रेस पर भी लागू होता है, जबकि प्रेस काउंसिल ने पहले से ही नियम बनाए हैं। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने भी पत्रकारों के लिए आचार संहिता निर्धारित की है, हालांकि बेंच ने यह भी कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (Press Council of India) के दिशानिर्देश में भी उल्लंघन के लिए कोई कठोर सजा नहीं है। 

बता दें कि नए आईटी कानून को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों को भी आपत्ति है। इससे पहले व्हाट्सएप ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि नए आईटी कानून लोगों की निजता का हनन करते हैं और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन करते हैं।

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