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हिजाब विवाद : देश की राजधानी दिल्‍ली से लेकर कर्नाटक, कश्‍मीर और कई राज्‍यों में एक ही प्रश्‍न, कॉलेज को धार्मिक विवाद का विषय क्‍यों बनाया जा रहा ? 

नई दिल्‍ली । कर्नाटक (Karnataka) से शुरू हुआ हिजाब’ विवाद (Hijab controversy) वक्‍त के साथ राष्‍ट्रीय रूप ले रहा है। हर तरफ से इसेे लेकर प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस्‍लाम (Islam) को माननेवालों और इस पूरे मामले में समर्थन कर रहे लोगों की अपनी दलीले हैं, लेकिन दूसरी तरफ ऐसे लोग भी देश भर में खुलकर बोलने सामने आ रहे हैं, जिनका कहना है कि हिजाब (Hijab) के चलते स्‍कूूल-कॉलेज को धार्मिक विवाद का विषय क्‍यों बनाया जा रहा है ? 

इस बीच संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी का एक बयान सामने आया है,  जिसमें उन्‍होंने साफ कहा है कि स्कूलों में हर किसी को वर्दी संबंधी नियमों का पालन करना चाहिए और उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं तथा कट्टरपंथियों ने इसे एक मुद्दा बना दिया है। उन्‍होंने कहा है कि ”वर्दी पहनना दिनचर्या का काम है, वे इसे मुद्दा क्यों बना रहे हैं? और जब स्कूल ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं तो हर किसी को इसका पालन करना चाहिए। इसमें क्या दिक्कत है? छात्रों तथा उनके अभिभावकों ने वर्दी संबंधी नियमों का पालन करने के लिए शपथपत्र दिए हैं।” उन्होंने यह भी पूछा कि वर्दी संबंधी नियमों का पालन न करने के लिए कौन छात्रों को भड़का रहा है।


उन्होंने कहा, ”कुछ नेताओं तथा कट्टरपंथियों ने इसे मुद्दा बना दिया है।” बहरहाल, कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले जोशी ने कहा कि मामला अदालत में है और राज्य सरकार अदालत के फैसले का इंतजार कर सकती है। उन्होंने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए तथा पुलिस से किसी तरह का उल्लंघन होने पर कार्रवाई करने की उम्मीद की जाती है।

कर्नाटक के कई हिस्सों में हिजाब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ कॉलेजों में हो रहे प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत “आम बात हो गयी है और अब हम विविधता का सम्मान नहीं करते हैं।” वीडियो को टैग करते हुए अब्दुल्ला ने ट्वीट किया है, “च्च्कितने बहादुर हैं ये पुरुष और एक अकेली लड़की को निशाना बनाते हुए उन्हें कैसे पुरुषार्थ का अनुभव हो रहा है। मुसलमानों के लिए नफरत आज भारत की मुख्यधारा में है और सामान्य बात हो गयी है।”

उन्होंने कहा, “अब हम वह देश नहीं रह गए हैं जिसे अपनी विविधता पर गर्व था, हम लोगों को इसकी (विविधता) सजा देना चाहते हैं और उन्हें इससे बाहर निकालना चाहते हैं।” हिजाब मुद्दे को लेकर कर्नाटक के उडुपी, शिवमोगा, बगलकोटे और अन्य हिस्सों में स्थित कुछ शिक्षण संस्थानों में स्थिति तनावपूर्ण होने के बाद पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करने की भी जरुरत पड़ी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कॉलेज में हिजाब पहनने पर रोक लगाने के खिलाफ उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की पांच छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की।

बतादें कि यह विवाद जनवरी में उस वक्त शुरू हुआ जब उडुपी के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कक्षा में हिजाब पहनकर आयीं छात्राओं को कॉलेज परिसर से बाहर चले जाने को कहा गया। यह मुद्दा अब राज्य के विभिन्न हिस्सों में भी फैल गया है और दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा समर्थित युवा हिन्दू भगवा गमछा डालकर इस मामले में कूद पड़े हैं। गौरतलब है कि भगवा गमछा डालने वाले छात्रों को भी कक्षाओं में नहीं बैठने दिया जा रहा है। इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है, राज्य में सत्तासीन भाजपा कॉलेज द्वारा लगाए गए रहे वर्दी संबंधी नियमों का समर्थन कर रही है। विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि हिजाब विवाद युवाओं के दिमाग में जहर भरने की साजिश है।

वहीं, इस मुद्देे पर देश भर से सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म पर आ रही चर्चाओं में इस बात पर अधिक जोर दिया जा रहा है कि कोई क्‍यों एक छोटी सी बात को इतना बड़ा मुद्दा बना रहा है। सीधी सी बात है स्‍कूल और कॉलेज पढ़ाई के लिए हैं, वहां ड्रेस कोड का महत्‍व है। यदि ड्रेस कोर्ड नहीं अपनाना तो सामान्‍य कपड़े पहने जा सकते हैं लेकिन एक समुदाय यदि विशेष धार्मिक परिधान पहनेगा तो स्‍वभाविक है दूसरा भी ऐसा करेगा या विरोध होगा, ऐसे में फिर स्‍कूल या शिक्षा की गरिमा कहां रह जाती है। शिक्षा के केंद्रों को धार्मिक परिधान और गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। 

 

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