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हिमाचल चुनावः बेरोजगारी-महंगाई के साथ पुरानी पेंशन को भी मुद्दा बनाएगी कांग्रेस

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh assembly Election) में कांग्रेस (Congress) पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) (Old Pension Scheme (OPS)) को लागू करने के वादे को और जोर-शोर से उठाएगी। कांग्रेस का मानना है कि यह लोगों में पार्टी के प्रति भरोसा पैदा कर रहा है। इसलिए पार्टी बेरोजगारी (unemployment), महंगाई (inflation) और दूसरे मुद्दों के साथ ओपीएस को पूरी शिद्दत से उठाएगी।

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रदेश में ओपीएस बड़ा मुद्दा है। नई पेंशन योजना के खिलाफ कई कर्मचारी संघ आंदोलन कर रहे हैं। राज्य में करीब साढ़े चार लाख सरकारी कर्मचारी और रिटायर्ड कर्मचारियों की भी बड़ी संख्या है। इन कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों की संख्या को जोड़ लिया जाए, तो मतो की अच्छी खासी तादाद होती है। यह चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए, पार्टी प्रचार के दौरान सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी देने का वादा कर रही है।


भरोसा दिलाने की कोशिश
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की अधिसूचना की कॉपी भी लोगों तक पहुंचा रही है। यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस सिर्फ वादे नहीं करती है, बल्कि उसे पूरा भी करती है। दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकार मई में अधिसूचना जारी कर चुकी है।

खड़गे-राहुल गांधी करेंगे प्रचार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हिमाचल चुनाव में प्रचार करेंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। यात्रा विश्राम के दिन हिमाचल प्रदेश आ सकते हैं।

बदलती रही है सरकार
हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है। वर्ष 1985 के बाद कोई सरकार दोबारा चुनाव नहीं जीत पाई। यही वजह है कि कांग्रेस हर चुनाव मे सरकार बदलने को हिमाचल की संस्कृति और परंपरा से जोड़ कर पेश कर रही है। पार्टी लोगों से अपील कर रही है कि उन्हें यह परंपरा नहीं बदलनी चाहिए।

पिछले चुनावों के हाल
68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा के चुनाव में 2017 में भाजपा को 49 प्रतिशत मतों के साथ कुल 44 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, कांग्रेस को 21 सीटों से संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस को उस चुनाव में 21 सीटें मिली थीं। 2012 की बात करें तो कांग्रेस को 36 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, भाजपा के खाते में सिर्फ 26 सीटें आई थी।

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