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बाबा से बड़े हो गए महामहिम, कुर्सियां लगवाई, कारपेट बिछे, भक्तों के हुए फजीते

पहले भोपाल, फिर उज्जैन से लेकर इन्दौर तक राष्ट्रपति की यात्रा के चलते बेफिजूल के तामझाम …. भारी भरकम प्रोटोकाल आम जनता के लिए बने मुसीबत…

इन्दौर, राजेश ज्वेल। राजे-रजवाड़े तो चले गए, मगर महामहिमों सहित अन्य वीवीआईपी अब भगवान से भी बड़े हो गए हैं… संभवत: यह पहला मौका होगा जब बाबा महाकाल के दरबार को भी राष्ट्रपति (President) के लिए सजाया-संवारा, वहीं बाबा के सामने नंदी हॉल में कुर्सियां लगवा दीं, जहां महामहिम के साथ मुख्यमंत्री (Chief Minister) सहित अन्य ने बैठकर पूजा-अर्चना की। लाल कालीन मंदिर परिसर में बिछा, तो बकायदा फोटो सेशन के साथ अन्य तामझाम भी हुए। भक्तों के फजीते हर बार की तरह हुए और नियमित बाबा के दर्शन करने वालों को मायूस लौटना पड़ा। पहले भोपाल, फिर इंदौर और उज्जैन तक राष्ट्रपति (President) की यात्रा के चलते प्रोटोकॉल (protocol) के नाम पर जो तामझाम किया गया उसकी आम जनता ने एक बार फिर आलोचना की है और सोशल मीडिया (social media) पर भी लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।


राष्ट्रपति का ही सबसे अधिक सख्त प्रोटोकॉल रहता है। हालांकि अब्दुल कलाम जैसे पूर्व के राष्ट्रपतियों ने सादगी के साथ भी इन प्रोटोकॉल का पालन करवाया और धार्मिक स्थल पर भी उनकी यात्राओं के दौरान इस तरह के तामझाम नहीं दिखे, जैसे कल उज्जैन में महाकाल मंदिर में किए गए। लाल कालीन, फूलों से साज-सज्जा के साथ ही बाबा के सामने नंदी हॉल में बकायदा कुर्सियां लगा दी गईं, जिस पर राष्ट्रपति, उनकी पत्नी, राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री व अन्य ने बैठकर दर्शन किए। संभवत: यह पहला मौका है, जब बाबा के सामने इस तरह किसी महामहिम के लिए कुर्सियां लगाई गई हों। इसकी आलोचना भक्तों द्वारा भी की जा रही है कि महामहिम बाबा महाकाल से भी बड़े हो गए, जो कुर्सी पर बैठे-बैठे दर्शन करेंगे। मंदिर परिसर में फोटो सेशन से लेकर स्मृति चिन्ह भेंट करने सहित अन्य व्यवस्थाएं भी की गई। कफ्र्यू जैसे हालात उज्जैन में नजर आए और वीआईपी दर्शन की व्यवस्था तो बंद ही रही। वहीं जो नि:शुल्क अन्न क्षेत्र चलता है, उसे भी दोपहर बाद खोला गया। यानी भोजन प्रसादी भी श्रद्धालुओं को नहीं मिल सकी।  ग्रीन रूम भी महामहिम के लिए मंदिर परिसर में बनाया गया, जहां पर एसी, कूलर, सोफे लगाए गए। किसी को भी मंदिर तो छोड़, परिसर के दूर-दूर तक फटकने की भी अनुमति नहीं दी गई। लगभग 20 मिनट तक राष्ट्रपति मंदिर में रहे और गर्भगृह में जाकर भी पुजारियों ने पूजन-अभिषेक करवाया। राष्ट्रपति तीन दिन की मध्यप्रदेश यात्रा पर थे। हालांकि उनका कार्यकाल अभी समाप्त होने वाला है। भोपाल, उज्जैन और इंदौर में जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई। इंदौर में तो कोई कार्यक्रम था नहीं, फिर भी सारे तामझाम करना पड़े।

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