खरी-खरी

अपनेपन का यह कैसा सिला दिया… दीदार को तरसती आंखों को कातिल समझ लिया…

काहे की चूक… जाना था हेलिकॉप्टर से… सडक़ मार्ग से चले गए… भनक लगी किसानों को…देखने पहुंच गए… जब मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदार केंद्रीय एजेंसियों को पता था कि चंद दूरी पर ही पाकिस्तान की सीमा लगती है… मोदी आतंकियों के निशाने पर हैं… फिर उन्हें सडक़ मार्ग से ले जाने की जुर्रत करना उनकी जान को जोखिम में डालने जैसा ही था… लेकिन चुनावी चस्के के चलते मोदी जब खुद जोखिम उठाएंगे… वोटों की चाह में जान दांव पर लगाएंगे तो ऐसे छोटे-मोटे हादसे तो हो ही जाएंगे… फिर जब आप 56 इंच का सीना दिखाते हो… हिम्मत की हुंकार लगाते हो… दुश्मनों को ललकारते हो तो ऐसी छोटी-मोटी बातों से क्यों घबराते हो… और आपको घेरने वाले भी तो किसान ही थे, जिन्हें आप देश की धडक़न मानते हो… सर पर बिठाते हो… फिर उनसे मिलने से मुंह छुपाते हो… दिल्ली तक आएं तो भी चेहरा तक नहीं दिखाते हो… वो ठंड में ठिठुरते हैं… बारिश में भीगते हैं… गर्मी में तपते हैं… लेकिन आप अडिय़ल हो जाते हो… उनसे बात करने के लिए मंत्रियों को भिजवाते हो… उनकी मांग मानने के लिए बरसों इंतजार कराते हो… फिर जब चुनाव आए तो आप उदार हो जाते हो… सारी मांगें मानकर दरियादिली दिखाते हो…आप खुद को प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि प्रधान सेवक मानते हो… फिर जब आपके किसान आपके दीदार के लिए जुट जाएं तो आप उन्हें कातिल मानने लग जाते हो… उसे सुरक्षा की चूक मानते हो… कैसे हैं आप दुनिया के सबसे बड़े भारत देश के प्रधान… ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कॉफी शॉप में कॉफी पीते हैं… अमेरिका के राष्ट्रपति नौका विहार करते हैं… जर्मनी के राष्ट्रपति एयरपोर्ट पर घूमते नजर आते हैं और आप अपने किसानों से मिल नहीं पाते हैं… वाकई में हमें आपकी चिंता है… आप किस बंधन में जीवन बिताते हैं… आजाद देश में हमारे प्रधान आजाद नजर नहीं आते हैं…

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