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इंदौर में नकली दवा बना रही थी हैदराबाद की कंपनी, पुलिस ने छापेमारी कर जबत की 25 लाख की दवा

इंदौर (Indore)। एक ही नाम से दो दवाएं मार्केट में खुले आम बिक रही है, लेकिन औषधि विभाग (medicine department) उनकी बिक्री रोकने में नाकाम है। नकली दवा (counterfeit medicine) बनाकर मार्केट में बेचने वाली कंपनी पर लसुडि़या पुलिस ने छापा मारकर 25 लाख रुपये कीमत की दवा जब्त की है। इंदौर की कंपनी के प्रॉडक्ट की कॉपी कर एनर्जी पाउडर (energy powder) मार्केट में बेचा जा रहा था। लंबे समय से नकली दवा बनाने का काम इंदौर में हो रहा था। पुलिस ने तो प्रकरण दर्ज कर माल जब्त कर लिया, लेकिन औषधि विभाग का एक्शन न लेना कई सवाल खड़े कर रहा है।

इंदौर (Indore) की कंपनी क्योरवीन फार्मास्यूटिकल एनर्जी पाउडर वर्षों से एनर्जी पाउडर का निर्माण कर रही है। कंपनी के इस प्रसिद्ध प्रॉडक्ट को एनर्जी प्रॉडक्ट के नाम मार्केट में बेचा जाता है, लेकिन हैदराबाद की क्लोरवीन हैलीको फार्मा प्रा.लि कंपनी हुबहू असली प्रॉडक्ट पैकिंग, नाम का उपयोग कर मार्केट में नकली पाउडर के रुप में बेच रही है। इसकी शिकायत फरियादी राजेंद्र तारे निवासी कृषि विहार कालोनी ने की थी। पुलिस ने कंपनी दवा बनाने वाली कंपनी के लसुडि़या स्थित गोडाउन में छापा मारकर 25 लाख रुपये कीमत का नकली एनर्जी पाउडर जब्त किया है। पुलिस ने क्योरवीन हैलीको कंपनी के डायरेक्टर के खिलाफ कॉपी राइट एक्ट 1957 की धारा-51 और 63 के तहत केस दर्ज किया है।पुलिस ने जब गोडाउन पर छापा मारा तो कर्मचारियों ने कहा कि कंपनी के कर्ताधर्ता उत्तम कुमार राव है।


1998 से कॉपी राइट है असली कंपनी के नाम
एनर्जी पाउडर का कॉपी राइट असली कंपनी क्योरवीन ने 1998 में कराया था और कंपनी भी विधिवत पंजीकृत है। पुलिस तक मामला पहुंने से पहले फरियादी राजेंद्र तारे ने नकली दवा बनाने वाले निर्माता से नकली दवा निर्माण नहीं करने के लिए कहा था, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद थाने में नकली दवा दवा बनाने वाली कंपनी की शिकायत की गई।

किडनी की नकली दवा भी बिक रही
फरियादी तारे की कंपनी 26 साल से अल्काविन नामक दवा का निर्माण कर रही है। यह दवा मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी जाती है। दो साल पहले इस नाम से गुजरात की एक कंपनी ने दवाई बनाई और मार्केट में बेचना शुरू कर दिया। इसकी बिक्री का लाइसेंस मध्यप्रदेश में खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने जारी किया है, लेकिन अफसर इस दवा पर रोक लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं।

किसी भी प्रचलित दवा के नाम से यदि दूसरी दवा कंपनी दवा बनाए तो भ्रम पैदा होता है। ग्राहकों को कई बार नकली दवा मिल जाती है। इसका वह उपयोग ही नहीं होता, जो डॉक्टर ने मरीज को लिखकर दी है। अल्काविन के मामले में यही हो रहा है। तारे ने बताया कि वे 26 साल से इस नाम का उपयोग कर किडनी के लिए दवा बना रहे हैं। दो साल पहले इसी नाम का उपयोग कर दूसरी कंपनी ने दवा बनाना शुरू कर दी। यह अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि औषधि विभाग को दस माह पहले इसकी शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। लीवर की दवा के अलावा नकली एनर्जी पाउडर की बिक्री को लेकर खाद्य व औषधि विभाग में शिकायत की गई थी। विभाग के अफसरों का नकली दवा बनाने वाली कंपनी के खिलाफ एक्शन न लेना कई सवाल खड़े कर रहा है, लेकिन पुलिस विभाग ने शिकायत को सही मानते हुए प्रकरण दर्ज किया है।

जो पहले से दवा बना रहा है, जिसके पास काॅपी राइट है, वही असली
फेडरेशन आफ फार्मा आन्त्रेप्रेन्योर के चेयरमेन हिमांशु शाह का कहना है कि इस तरह केस पहले भी सामने अाते रहे है। जो कंपनी पहले से दवा बना रही है और जिसके नाम पर काॅपीराइट है। उसे ही असली माना जाता है। एक ही नाम की दो दवाएं बाजार में रहने से ग्राहक के लिए नुकसानदायक है।

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