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मैंने गांधी का सपना पूरा करने के लिए खुद को समर्पित किया, पढ़ें PM मोदी के संबोधन की बड़ी बातें


नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज लाल किले की प्राचीर से 9वीं बार देश को संबोधित किया. देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है.

गांधी का सपना पूरा करने के लिए खुद को समर्पित किया- इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी का आखिरी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का सपना था, मैंने अपने महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित किया.

भारत लोकतंत्र की जननी- पीएम मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है. मैं पहला व्यक्ति था, जिसे लाल किले से देशवासियों के गौरवगान करने का मौका मिला था. जितना आपसे सीखा है, आपको जान पाया हूं. आपके सुख-दुख को जान पाया हूं. उसे लेकर मैंने पूरा कालखंड उन लोगों के लिए खपाया है.

सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ- लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां हासिल की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है. हमने पिछले दिनों देखा है, हमने एक और ताकत का अनुभव किया है. भारत में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है. आजादी का अमृत अब संकल्प में बदल रहा है. सिद्धि का मार्ग नजर आ रहा है.

देश 5 संकल्प लेकर आगे बढ़ेगा- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश अब 5 संकल्प लेकर आगे बढ़ेगा. आने वाले 25 साल के लिए 5 संकल्प लेने होंगे. उन्होंने कहा कि पंच प्रण लेने होंगे. हमें आजादी के दीवानों के सपनों का संकल्प लेना होना.


पहला प्रण- अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा. ये बड़ा संकल्प है विकसित भारत. इससे कम कुछ नहीं होगा. 2047 तक विकसित भारत का सपना लेकर आगे बढ़ना है.

दूसरा प्रण- किसी भी कोने में हमारे मन के भीरत गुलामी का एक भी अंश है तो उसे बचने नहीं देना है. शत-प्रतिशत सैकड़ों साल की गुलामी ने हमें जकड़कर रखा है, हमारी सोच में विकृतियां पैदा कर रखी हैं. अगर हमें गुलामी की छोटी सी बात भी नजर आती है तो हमें इससे मुक्ति पानी होगी.

तीसरा प्रण- हमें अपने विरासत पर गर्व होना चाहिए. यही विरासत है कि नित्य नूतन स्वीकारती रही है.

चौथा प्रण- एकता और एकजुटता. 130 देशवासियों में एकता. एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए ये हमारा चौथा प्रण है.

पांचवां प्रण- नागरिकों का कर्तव्य. ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी प्रण शक्ति है. जब सपने बड़े होते हैं, तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है.

बड़े संकल्प से ली आजादी- पीएम मोदी ने कहा कि हमने बड़ा संकल्प लिया था. आजादी का. हम आजाद हो गए, ये इसलिए हुआ क्योंकि संकल्प बहुत बड़ा था, अगर संकल्प सीमित होता तो शायद आज भी संघर्ष कर रहे होते.

मानव केंद्रीय व्यवस्था डवलप होगी- पीएम मोदी ने कहा कि मानव केंद्रीय व्यवस्था को विकसित करेंगे. हमारे केंद्र में मानव होगा. उसकी आशाएं होंगी. भारत जब बड़े संकल्प करता है, करते बता देता है. जब मैंने स्वच्छता की बात की, तो इस देश ने करके दिखाया. जब दुनिया दुविधा में थी तब 200 करोड़ वैक्सीनेशन के लक्ष्य को हासिल कर लिया. सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ढाई करोड़ लोगों के घर में नल से जल पहुंचाने का काम देश कर रहा है. खुले में शौच से मुक्ति संभव हो पाया है.

हमारे पास ग्लोबल वॉर्मिंग का समाधान- जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊंचा उड़ेंगे, तभी विश्व को भी समाधान दे पाएंगे. हम प्रकृति से प्रेम करना जानते हैं. हमारे पास ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या के समाधान का रास्ता हमारे पास है. हमारे पूर्वजों ने हमें दिया है. जब दुनिया होलिस्टिक हेल्थ केयर की चर्चा करती है, तो दुनिया की नजर भारत के योग पर जाती है. भारत के आयुर्वेद पर जाती है. जब व्यकिगत तनाव की बात होती है तो विश्व को भारत का योग दिखता है, जब सामूहिक तनाव की बात होती है विश्व को भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है.

जन कल्याण से जग कल्याण- हम वो लोग हैं जो जीव में शिव देखते हैं, नर में नारायण देखते हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं. पौधे में परमात्मा देखते हैं, जो नदी को मां मानता है, हम वो हैं जो हर कंकर में शंकर देखते हैं. हम वो हैं जिसने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र दिया. जो कहते हैं कि सत्य एक है. हमने दुनिया का कल्याण देखा है. हमने जन कल्याण से जग कल्याण देखा है.

भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत- जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है. भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा. हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि मुझे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना है. मुझे इसके खिलाफ लड़ाई को तेज करना है. मुझे 130 करोड़ भारतीयों का साथ चाहिए, ताकि मैं इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकूं. इसलिए मेरे देशवासियों ये चिंता का विषय है, भ्रष्टाचार के प्रति नफरत दिखती है. लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई चेतना नहीं दिखती.


भाई-भतीजावाद की बुराई- जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं. एक तरफ वो लोग हैं, जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है. दूसरे वे लोग हैं. जिनके पास लूटी हुई रकम रखने की जगह नहीं है. हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना है. जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट लूट कर भाग गए. हम उनकी संपत्ति जब्त कर रहे हैं. कई लोग जेल में हैं. हमारी कोशिश है कि जिन लोगों ने देश को लूटा है, उनके लिए ऐसी स्थिति बनाई जाए, कि उन्हें लूटा हुआ पैसा लौटाना पड़े.

आत्मनिर्भर भारत का संकल्प- 75 साल बाद पहली बार भारत में बने हॉविट्जर तोप का इस्तेमाल लाल किले पर सलामी के लिए के लिए किया गया. पीएम ने कहा कि गैरजरूरी विदेशी सामान और उपकरणों के आयात पर रोक पर प्रयास करना होगा. विदेशी खिलौनों के आयात भी भारी कमी आई है, क्योंकि बच्चों ने भी इन्हें नकार दिया है. साथ ही केमिकल मुक्त खेती पर जोर दिया.

जय जवान, जय किसान के साथ जय अनुसंधान पर जोर- पीएम मोदी ने कहा कि जय जवान, जय किसान के साथ जय अनुसंधान पर जोर की जरूरत है. UPI का बढ़ता प्रभाव इसका एक प्रमाण है. देश 5 G की तरफ बढ़ रहा है. गांवों में आप्टिकल फाइबर का जाल बिछ रहा है. भारत के लिए यह टेक्नोलॉजी का दशक है. स्पेस मिशन, ओशन मिशन में भी आगे बढ़ रहा है.

मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल- हमारे छोटे किसान, लघु उद्योग, रेहड़ी पटरी वाले, इनको आर्थिक ताकत देने का प्रयास चल रहा है. मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल कैसे हो, इस पर जोर देना होगा. गांव से लेकर शहर तक, पुलिस से लेकर युद्ध के मैदान तक, खेलकूद का मैदान हो, देश के विकास में नारी शक्ति पर ध्यान जरूरी है. संविधान के निर्माताओं ने देश के फेडरल स्ट्रक्चर पर जोर दिया और वह भविष्य की जरूरत है. कार्यक्रम और कार्यशैली अलग हो सकती है, लेकिन जरूरत हेल्दी कंपीटिटिव फेडरलिज्म की है.

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