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IAC Vikrant भारतीय नौसेना को सौंपा गया, ‘Romeo’ हेलिकॉप्टर भी होगा तैनात


नई दिल्ली: कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने भारतीय नौसेना (Indian Navy) को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत (First Indigenous Aircraft Carrier) आईएसी विक्रांत (IAC Vikrant) की डिलिवरी कर दी है. कुछ दिन पहले ही इसके चौथे समुद्री ट्रायल्स पूरे हुए थे. 1971 में इसी नाम के युद्धपोत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उसके सम्मान में ही स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत का नाम आईएसी विक्रांत रखा गया था.

IAC Vikrant की लंबाई 860 फीट, बीम 203 फीट, गहराई 84 फीट और चौड़ाई 203 फीट है. इसका कुल क्षेत्रफल 2.5 एकड़ का है. यह 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र में आगे बढ़ता है. एक बार में 15 हजार KM की यात्रा कर सकता है. इसमें एक बार में 196 नौसेना अधिकारी और 1149 सेलर्स और एयरक्रू रह सकते हैं. इसे बनाने में करीब 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. जहाज बनाने की शुरुआत फरवरी 2009 में हुई थी. इसमें 76 फीसदी स्वदेशी सामग्री लगी है.

आईएसी विक्रांत (IAC Vikrant) में 4 ओटोब्रेडा (Otobreda) 76 mm की ड्यूल पर्पज कैनन लगे होंगे. इसके अलावा 4 AK 630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन लगी है. बराक मिसाइलों जैसे घातक हथियारों से लैस इस युद्धपोत के तैनात होते ही भारत के समुद्री तट अपने दुश्मनों से सुरक्षित हो जाएंगे. साथ ही भारतीय नौसेना की ताकत में कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी. भविष्य में इसमें दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) को भी तैनात किया जा सकता है.

आईएसी विक्रांत (IAC Vikrant) 45 हजार टन का करियर है. इसमें जनरल इलेक्ट्रिक के ताकतवर टरबाइन लगे हैं. जो इसे 1.10 लाख हॉर्सपावर की ताकत देते हैं. इस पर MiG-29K लड़ाकू विमान और 10 Kmaov Ka-31 हेलिकॉप्टर के दो स्क्वॉड्रन तैनात हो सकते हैं. भारत में अमेरिका से आया मल्टीरोल MH-60R हेलिकॉप्टर भी तैनात किया जा सकता है. MH-60R को रोमियो हेलिकॉप्टर भी बुलाते हैं. कुल मिलाकर इस पर 30 विमान तैनात हो सकते हैं. इस विमानवाहक पोत की स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर है. इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी. जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम हैं.


आईएसी विक्रांत (IAC Vikrant) की फ्लाइट डेक 1.10 लाख वर्ग फीट की है, जिस पर से फाइटर जेट आराम से टेकऑफ या लैंडिंग कर सकते हैं. इस विमान पर ट्विन इंजन बेस्ड फाइटर तैनात किया जाएगा. जिसे HAL बनाएगा. तब तक के लिए मिग-29K फाइटर जेट इस पर तैनात रहेंगे. नेवी ने इस पोत पर लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को इंटीग्रेट करने का काम भी शुरु किया है.

अभी इस युद्धपोत पर तैनाती के लिए भारतीय नौसेना लड़ाकू विमान भी खोज रही है. इस युद्धपोत पर तैनाती के लिए दुनिया के चार सर्वश्रेष्ठ फाइटर जेट्स का ट्रायल लेने की तैयारी है. इसके लिए नौसेना की नजर में चार लड़ाकू विमान हैं- पहला राफेल (Rafale) का नेवी वर्जन, दूसरा अमेरिकी कंपनी बोइंग का F-18 सुपर हॉर्नेट (F-18 Super Hornet), तीसरा रूस और भारत का भरोसेमंद मिग-29के (Mig-29K) और चौथा स्वीडेन की कंपनी साब का ग्रिपेन (Gripen).

राफेल (Rafale) रॉफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 KM है, जबकि चीन के स्वदेशी फाइटर जेट J-20 का 3400 किलोमीटर है. यानी हमारा लड़ाकू विमान 300 किलोमीटर ज्यादा उड़ सकता है. यानी अपने बेस स्टेशन से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे कॉम्बैट रेडियस कहते हैं. राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल. तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.

राफेल में लगी मीटियोर मिसाइल 150 किलोमीटर, स्कैल्प मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है. जबकि, हैमर का उपयोग कम दूरी के लिए किया जाता है. ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित होती है. जबकि, चीन के J-20 जेट में सिर्फ दो प्रकार की मिसाइलें लग सकती है. पीएल-15 जो 300 किलोमीटर हमला करती है. दूसरी पीएल-21 जिसकी रेंज 400 किलोमीटर है. राफेल 300 मीटर प्रति सेकेंड की गति से हवा में सीधी उड़ान भर सकता है, जबकि चीन का जे-20 जेट 304 मीटर प्रति सेकेंड से.

चीन के जे-20 फाइटर जेट की स्पीड 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है. जबकि, भारतीय राफेल की गति 2450 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी ध्वनि की गति से दोगुनी स्पीड. राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है. यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है. इसे समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर उतार सकते हैं. राफेल चारों तरफ निगरानी रखने में सक्षम है. इसका टारगेट अचूक होगा. जबकि, चीन का जे-20 इन सुविधाओं से विहीन है. असल में चीन के पास हिमालय के पहाड़ों में तेजी से हमला करने और उड़ने वाले फाइटर जेट कम हैं.


F-18 Super Hornet को अमेरिकी कंपनी बोइंग बनाती है. इसके दो वैरिएंट हैं- पहला सिंगल सीटर और दूसरा दो पायलटों वाला. इसकी लंबाई 60.1 फीट है. विंगस्पैन 44.8 फीट है. ऊंचाई 16 फीट है. इसके अंदर 6667 किलोग्राम ईंधन भरा जा सकता है. यह जनरल इलेक्ट्रिक F414-GR-400-turbofans के दो इंजनों से उड़ता है. अब इसकी ताकत के बारे में आपको बताते हैं.

F-18 Super Hornet की अधिकतम गति 1915 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह गति वह 40 हजार फीट की ऊंचाई पर होती है. इसकी रेंज 2346 किलोमीटर है. लेकिन कॉम्बैट रेंज 722 किलोमीटर है. इसमें 450 किलोग्राम के चार बम और दो AIM-9S मिसाइलें लगा सकते हैं. यह अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. यह एक सेकेंड में 228 मीटर की गति से आसमान में जाता हैं.

F-18 Super Hornet 20 मिलीमीटर के एक M61A2 गन लगी होती है, जो एक मिनट में 412 राउंड फायर करती है. इसके अलावा इसमें 11 हार्ड प्वाइंट हैं. यानी इतने बम या मिसाइलें तैनाती की जा सकती है. इसमें 4 AIR-9 Sidewinder, 12 मीडियम रेंज एयर टू एयर मिसाइल, 4 स्पैरो मिसाइल, 6 मैवरिक, 4 स्लैम, 2 हार्पून जैसी कई मिसाइलें लगाई जा सकती हैं, लेकिन इनका मिश्रण किया जा सकता है.

रूस और भारत का भरोसेमंद लड़ाकू विमान मिग-29के (MiG-29K) पहले से ही भारतीय सेना उपयोग कर रही है. लेकिन इसके नौसैनिक वर्जन यानी विमानवाहक पोत के लिए जरूरी फाइटर जेट की जरूरत पड़ेगी. इसलिए इसके नेवल वर्जन का भी परीक्षण होगा. आपको बता दें कि यह 56.9 फीट लंबा और 14.5 फीट ऊंचा विमान है. विंगस्पैन 39.4 फीट है. इसमें 2 किमोवट आरडी-33 एमके आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं. इसकी अधिकतम गति 2200 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है, जबकि कॉम्बैट रेंज 850 किलोमीटर है.

MiG-29K अधिकतम 57,400 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. यह आसमान में 330 मीटर प्रति सेकेंड की गति से सीधा जा सकता है. इसमें 30 मिलीमीटर की Gryazev-Shipunov GSh-30-1 auto तोप लगी है, जो एक मिनट में 150 गोलियां दाग सकती हैं. इसमें 8 हार्डप्वाइंट्स हैं, जिसमें आप कई तरह के बम या मिसाइल लगा सकते हैं. या मिश्रण कर सकते हैं. भारतीय वायुसेना इसमें अस्त्र मिसाइल लगाती है. इसके अलावा हवा से हवा में, हवा से जहाज पर और एंटी-रेडिएशन मिसाइलें भी तैनात की जा सकती हैं.

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