- उज्जैन को है पीने के लिए रोज 7 एमसीएफटी पानी की जरूरत
उज्जैन। उज्जैन शहर में पानी नहीं गिरने से पेयजल संकट की आशंका दिख रही है हालांकि अभी नहीं कहा जा सकता कि बारिश नहीं होगी लेकिन जून माह में अल्प वर्षा के कारण ऐसी स्थिति बनी है..शहर को पिलाने के लिए 12 दिन का पानी शेष है और वर्षा की दरकार है।
बारिश की खेच के चलते शहर में जल संकट की स्थिति बन सकती है, क्योंकि गंभीर डेम में अब मात्र 186 एमसीएफटी पानी बचा है और इसमें से 100 एमसीएफटी डेड स्टोरेज रहता है। गंभीर डेम में 30 जून तक की स्थिति में लबालब पानी था और हर साल मानसून 25 जून तक उज्जैन में आ जाता है लेकिन इस बार मानसून लेट हो गया है। इसके चलते अब मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 12 जुलाई के बाद ही नया सिस्टम बनेगा और बारिश होगी। बात गंभीर डेम की की जाए तो फिलहाल गंभीर डेम में 86 एमसीएफटी पानी ही उपयोग लायक बचा है और प्रतिदिन का खर्च करीब 7 एमसीएफटी है। ऐसे में 12 दिन का पानी गंभीर डेम में बचा है और यदि बारिश लेट हुई तो शहर में जल संकट की स्थिति बन सकती है। गंभीर डेम के प्रभारी राजीव शुक्ला ने बताया 12 जुलाई के पहले ट्रेंचिंग और डी वाटरिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नालियों के द्वारा पानी को डेम के एरिया में लाएंगे और उससे जल प्रदाय करेंगे लेकिन बारिश में ज्यादा खींच हुई तो स्थिति में दिक्कत आ सकती है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन की जल प्रदाय व्यवस्था का एक मात्र साधन गंभीर डेम है, इसके अलावा नर्मदा से जो पानी लाया जा सकता लाया जाता है उससे जल प्रदाय किया जाता है। गंभीर डेम में पानी कम होने के कारण अप्रैल माह में ही एक दिन छोड़ कर जल प्रदाय करने का निर्णय नगर निगम द्वारा ले लिया गया था जो अभी भी जारी है। जलप्रदाय के दौरान काफी कम प्रेशर से नल चलने के कारण कई क्षेत्रों में जल संकट की स्थिति भी निर्मित होती है।