खरी-खरी

देश जलाओगे तो कैसे नायक कहलाओगे…

सौगात है अधिकार नहीं… चार साल सेना में रहोगे तो देशप्रेम समझ में आएगा… जीवन अनुशासन से भर जाएगा… शरीर लोखंड की भांति मजबूत हो जाएगा… आत्मविश्वास और कुछ कर गुजरने का जज्बा उस उम्र में आ जाएगा, जिस उम्र को लडक़े खिलंदड़ मानते हैं… कॉलेजों की गलियों में चक्कर लगाते हैं…चाय-सुट्टे की दुकान पर बैठकर नजरें गड़ाते हैं…फिर जब जीवन के मैदान में भाग्य आजमाते हैं तो हाथों के तोते उड़ जाते हैं…ऐसे युवाओं को बचाने के लिए सरकार ने यह अग्निपथ योजना बनाई है, जिसमें 18 साल से लेकर 23 साल तक के बच्चों की सेना में भर्ती की जाएगी… जिन्हें 6 माह तक मिलिट्री की ट्रेनिंग दी जाएगी और उसके लिए भी हर माह 40 हजार रुपए तक का वेतन दिया जाएगा… यानी शरीर मजबूत बनाया जाएगा… देशप्रेम का जज्बा जगाया जाएगा…हर परिस्थिति से लडऩे-भिडऩे लायक बनाया जाएगा…उम्र के पहले पायदान पर ही जीवन अनुशासित हो जाएगा…सब कुछ कर गुजरने की क्षमता से भरा आत्मविश्वास जब इन युवाओं के जेहन में जाग जाएगा तो हर घर में एक फौजी नजर आएगा…फिर इस मशक्कत के बाद जो युवा योग्य माना जाएगा वो हमेशा के लिए सेना में चुन लिया जाएगा… लेकिन जो सेना का सिपाही नहीं बन पाएगा वह देश का सिपाही बनकर ही बाहर आएगा…अब ऐसी सौगात को भी अधिकार समझकर स्थायी भर्ती के लालच में युवा हंगामा कर रहे हैं…ट्रेनें जला रहे हैं…सडक़ों पर हंगामा मचा रहे हैं… पत्थर बरसा रहे हैं…ऐसी मनोवृत्ति जेहन में पालने वाले अग्निवीर कैसे हो सकते हैं…देश की सेवा कैसे कर सकते हैं… अनुशासन को रौंदने वाले ऐसे युवाओं को सजा दें या सिर पर बैठाएं…देश का नायक बनाएं या सबक सिखाएं… जब वही समझ नहीं पा रहे हैं…स्थायित्व के लिए मरे जा रहे हैं…योग्यता की शर्त को बांधकर दबाव बना रहे हैं…उनसे हम देशप्रेम की उम्मीद लगा रहे हैं…चार साल यदि सेना की सेवा में लगाएंगे तो जीवन से लडऩे की क्षमता पाएंगे…इस योजना के लिए बेरोजगारों की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण करने वाले युवाओं की जरूरत है…अग्निवीर की यह योजना सम्पन्न वर्ग से लेकर धनाढ्य परिवारों के उन युवाओं के लिए भी है, जो जीवन को समझना चाहते हैं… अनुशासन और शारीरिक सौष्ठव में अव्वल आना चाहते हैं…देशप्रेम जगाकर ईमानदार सेवा का संकल्प जगाना चाहते हैं, न कि ऐसे युवाओं के लिए जो केवल रोटी कमाने के लिए सेना में जाना चाहते हैं…सडक़ों पर हंगामा कर देश की फिजा बिगाड़ते हैं… तर्क-कुतर्क में समय बिगाड़ते हैं… देश की सेवा को नौकरी मानते हैं और स्थायित्व के लिए देश में उपद्रव मचाते हैं….

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