नई दिल्ली: जंतर मंतर पर किसान संगठनों (Farmer’s Organizations) की ओर से आयोजित एक दिन की महापंचायत सोमवार शाम को खत्म को गई. इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) ने घोषणा की कि उन्होंने सरकार को मांगे पूरी करने के लिए 15 दिन का समय दिया है और यदि उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो 15 दिन बाद आंदोलन तेज हो सकता है. इसी के साथ किसानों के नेता शिवकुमार कक्का ने जानकारी दी कि मंगलवार को रकाबगंज गुरुद्वारे में किसान मोर्चे की बैठक जहां किसान नेता आगे की रणनीति बनाएंगे.
किसान महापंचायत का नेतृत्व कर रहे नेताओं में शिवकुमार कक्का ने इस दौरान कहा था कि हम नॉन पॉलिटिकल ही रहेंगे. वहीं दूसरी तरफ इस किसान महापंचायत को लेकर सवाल भी खड़े हुए. इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना आधिकारिक स्पष्टीकरण भी जारी किया. जिसके बाद ये स्पष्ट हो गया था कि इस विरोध का आह्वान भारतीय किसान यूनियन के गैर-राजनीतिक किसान संगठन बीकेयू एकता सिधुपुर के जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किया है जिसको देशभर की करीब 40 से ज्यादा किसान संगठनों का समर्थन बताया जा रहा है.
एसकेएम ने मीडिया को जारी एक स्पष्टीकरण में साफ कहा था कि सोमवार को जंतर-मंतर पर बुलाई किसान महापंचायत या विरोध संयुक्त किसान मोर्चा का आह्वान नहीं है. यह आह्वान 2020-21 के किसानों के विरोध के दौरान एसकेएम का हिस्सा रही कुछ किसान यूनियनों की ओर से किया गया है. बीकेयू एकता सिद्धूपुर के जगजीत सिंह दल्लेवाल इस विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि बाकी किसान संघ और नेता इसका हिस्सा नहीं हैं.
इस महापंचायत में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ, भारतीय किसान यूनियन अम्बाबता, भारतीय किसान यूनियन सिरसा, भारतीय किसान एकता, भारतीय किसान यूनियन खौसा, भारतीय किसान नौजवान यूनियन, अन्नदाता किसान यूनियन हरियाणा, बुंदेलखंड किसान यूनियन, भारतीय किसान मजदूर यूनियन, हरियाणा किसान यूनियन, खेती बचाओ मोर्चा, किसान मजदूर महासंघ ओडिसा, भारतीय किसान यूनियन असली अराजनैतिक, भारतीय किसान यूनियन खेती बचाओ, राष्ट्रीय किसान संगठन आदि प्रमुख तौर पर शामिल रहे.
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