खरी-खरी ब्‍लॉगर

हमारे शहर आओगे.. तो देश छोडऩे पर पछताओगे… पूरे देश का आईना इस शहर में पाओगे…


देश के एक बड़े शहर में तब्दील होते इंदौर शहर की रौनक में एक साथ तीन ख्यातियां उत्सव की सौगात बन रही हैं… इधर प्रवासी भारतीय आएंगे, उधर हम ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट मनाएंगे। इससे फारिग नहीं हो पाएंगे कि जी-20 के सम्मेलन में जुट जाएंगे… इन उत्सवों की धरा बना इंदौर रोशनी की दीपावली भी मनाएगा और मेजबानी का गौरव भी पाएगा… प्रवासियों को हथेलियों पर भी बिठाएगा और निवेशकों को भी रिझाएगा… देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश का गौरवशाली शहर इंदौर जहां स्वच्छता में डंका बजा चुका है, वहीं सुंदरता का भी प्रभाव दिखाएगा… शहर को सजाया जा रहा है… सडक़ों को चमकाया जा रहा है… पौधों की कतारें हरियाली का इस्तकबाल कर रही है… रोशनी की छटाएं अगवानी के लिए तैयार खड़ी हैं… हम भौतिक सुंदरता के लिए ही नहीं इस बार आत्मिक परंपराओं के लिए भी अपना परिचय बनाएंगे… हौंसलों के साथ प्रवासियों को घरों पर ठहराएंगे… संस्कृति का आदान- प्रदान इंदौरियों की आत्मीयता का रूझान इस पर्व को और महान बनाएगा… पहली बार प्रधानमंत्री भी चार घंटे के लिए शहर से रूबरू होंगे… मुख्यमंत्री तो शहर में ही लगातार रहेंगे… मंत्रियों और अधिकारियों को भी चौकन्ना रहना पड़ेगा… इस सम्मेलन से जहां शहर को नया परिचय मिलेगा, वहीं देश के मुंबई, हैदराबाद और बैंगलुरु शहरों जैसा कद भी इंदौर को मिलेगा… दुनिया की निगाहें इंदौर पर रहेंगी… प्रवासी तो आएंगे और चले जाएंगे, लेकिन वो इस शहर को ख्याति की सौगात दे जाएंगे… पूरे देश के लोगों का रुझान हमारी ओर बढ़ेगा… निवेश के नए रास्ते खुलेंगे… आर्थिक समृद्धि के नए पुल बनेंगे… रोजगार के रास्ते बढ़ेंगे… और सबसे बड़ी बात यह है कि देशभर में शहर के लिए लोगों का विश्वास बढ़ेगा… रियल इस्टेट का बाजार और निखरेगा… यह सम्मेलन देश के लोगों को यह समझाएगा कि देश का सबसे सुंदर और स्वच्छ शहर में आज भी स्तर का जीवनयापन कम खर्च में होता है… यहां सामाजिकता के साथ संस्कृति का भी परिवेश मिलता है… यहां उच्चस्तर के शैक्षणिक संस्थान हैं… यहां देश के बड़े अस्पताल हैं… यहां नाइट कल्चर भी है और व्हाइट संस्कृति भी है… यहां दिनभर काम की जिद है तो हर शाम जीवन जीने की जुगत भी है… यहां जीवन मशीन की तरह नहीं चलता, बल्कि मशीनों को जीवन के लिए चलाया जाता है… विस्तार का हर पैगाम यह शहर मस्तक से लगाता है… सडक़ों के लिए घरों को कुर्बान कर दिया जाता है… स्वच्छता के लिए पूरा शहर जुट जाता है… सडक़ों को आवारा पशुओं से मुक्त कर दिया जाता है… प्लास्टिक को जीवन से समेट दिया जाता है… कचरे से खाद और बिजली का करिश्मा केवल इंदौर शहर में नजर आता है… दूसरे शहर के लोग यहां पिकनिक मनाने नहीं, बल्कि ज्ञान पाने आते हैं… कैसे हम अपने शहर को उन्नत बनाते हैं… यह देखकर वो भौचक रह जाते हैं… अब देश नहीं विदेशों में रह रहे भारतीय भी इस शहर में आएंगे तो न केवल हमारी समृद्धि, बल्कि संस्कृति, सम्मान और सहजता देखकर मुग्ध रह जाएंगे… अहिल्या की यह नगरी पूरी दुनिया में बसे अपनों पर आत्मीयता लुटाएगी तो उनकी आंखें यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगी कि परदेश जाकर जो गंवाया… वो अपने देश में पाया… चंद दिनों के लिए ही सही पंछी घोंसले में तो आया…

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