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IIT के साइंटिस्ट ने बनाया मैथमेटिकल मॉडल, ब्रेन डिजीज दूर करने में मदद करेगा

नई दिल्ली। दिमाग से जुड़ी बीमारियों यानी ब्रेन डिजीज (Brain Disease) को दूर करने में मैथमेटिकल मॉडल (Mathematical model) मददगार बन सकता है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी के साइंटिस्ट डॉ शुभजीत राय चौधरी (Dr. Shubhajit Roy Chowdhury) ने ट्रांसक्रानियल इलेक्टिकल स्टिमुलेशन (transcranial electrical stimulation) मॉडल बनाया है. इसमें मरीज के सिर पर इलेक्ट्रोड लगाकर ब्रेन मैपिंग की जाएगी. इस स्टडी में नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (National Brain Research Center) की साइंटिस्ट डॉ याशिका अरोड़ा (Dr Yashika Arora) और अमेरिका की बफेलो विश्वविद्यालय (University at Buffalo) के डॉ अनिर्बान दत्ता ने सहयोग किया है।

स्टडी के निष्कर्षों को ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation) जर्नल में प्रकाशित किया गया है. डॉ. शुभजीत राय चौधरी ने बताया कि ट्रांसक्रानियल इलेक्टिकल स्टिमुलेशन गैर-इनवेसिव ब्रेन स्टिमुलेशन मॉडल है, जिसमें ब्रेन की स्टडी और उसमें होने वाले परिवर्तन के लिए उसके कुछ हिस्सों में विद्युत प्रवाहित की जाती है. इससे ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के इलाज में मदद मिलेगी।


डॉ शुभजीत राय चौधरी ने बताया कि हमने चार डिब्बों के साथ न्यूरोवैस्कुलर यूनिट (एनवीयू) के एक शारीरिक रूप से विस्तृत मैथमेटिकल मॉडल (mathematical model) का अनुकरण किया. इसे सिनेप्टिक स्पेस, एस्ट्रोसाइट स्पेस, पेरिवास्कुलर स्पेस और आर्टेरियोल स्मूथ मसल सेल स्पेस कहा जाता है. इसमें करंट प्रवाह कर ब्लड वेसल में परिवर्तन का विश्लेषण किया।

इलाज में मिलेगी मदद
डॉ चौधरी ने आगे बताया कि मैथमेटिकल मॉडल (mathematical model) में चार नेस्टेड एनवीयू कंपार्टमेंटल पाथ-वे (nested NVU compartmental pathway) के लिए इलेक्ट्रिक फील्ड का अनुकरण (simulation) करने के लिए अलग-अलग फ्रीक्वेंसी (0.1 हर्ट्ज से 10 हर्ट्ज) के गड़बड़ी के एप्लिकेशंस शामिल थे और फ्रीक्वेंसीज के जवाब में ब्लड वेसल के डायमीटर (blood vessel diameter) में हुए बदलाव का विश्लेषण किया।

ब्रेन इंजरी, हल्की संज्ञानात्मक हानि (mild cognitive impairment,), न्यूरोसाइकिएटिक डिजीज के लिए भी यह मददगार है. पहले भी ब्रेन मै¨पिंग होती रही है, लेकिन गणितीय मॉडल के जरिये यह और आसान होगी और इससे मरीज का इलाज करने में मदद मिलेगी।

इसे बनाया शोध का आधार
डा. शुभजीत राय चौधरी ने बताया कि पहली शताब्दी ईस्वी में रोमन चिकित्सक स्क्रिबोनियस लार्गस ने सिरदर्द को कम करने के लिए सम्राट के सिर पर ब्लैक टारपीडो, एक बिजली का झटका पैदा करने वाली मछली लगाई थी. 18वीं शताब्दी में बिजली की खोज के तुरंत बाद पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टिम्यूलेशन उपकरणों को सिरदर्द सहित विभिन्न न्यूरोलाजिकल सिंड्रोम के इलाज के लिए डिजाइन किया गया था।

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