भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

भारत में चुनाव से ही पड़ जाते हैं भ्रष्टाचार के बीज

  • उपलोकायुक्त बोले दलों के पास कमाई के साधन नहीं फिर भी चुनाव में बहुत खर्च करते है

भोपाल। मप्र के उपलोकायुक्त जस्टिस एसके पालो ने चुनाव को ही भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार बता दिया। उपलोकायुक्त ने कहा कि कोई राजनीतिक दल जब चुनाव लड़ता है, तो उनको बहुत सारे पैसों की जरूरत होती है। लेकिन उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं है। खर्च तो वे बहुत करते हैं। वहीं से करप्शन के बीज डल जाते हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वे किसी भी विशेष राजनीतिक दल के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। उपलोकायुक्त ने कहा कि सिस्टम से इस दिक्कत को कैसे हटाएंगे इस पर चुनाव आयोग को विचार करना है। जस्टिस पालो ने ये भी कहा कि करप्शन से सबसे ज्यादा पीडि़त आम आदमी है। करप्शन के चलते ही देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत नुकसान होता है। उदाहरण के लिए आप समझें कि बड़ी बड़ी कंपनियां जो यहां फैक्ट्री लगाती है, लेकिन कई कंपनियां आने से इसलिए इंकार कर देती है क्योंकि करप्शन है। करप्शन फ्री करने से देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत फायदा होगा। जस्टिस पालो सीबीआई द्वारा सतर्कता सप्ताह के तहत आयोजित कार्यक्रम करप्शन फ्री इंडिया फॉर डेवल्प्ड नेशन के मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर रमनीश गिर, भोपाल ब्रांच के एचओडी डीआईजी प्रमोद कुमार मांझी, सीपीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर जेआर मीणा सहित तमाम केंद्रीय कार्यालयों के विभाग प्रमुख मौजूद थे।


भय, भूख और भाई-भतीजावाद भ्रष्टाचार की वजह
सीबीआई जेडी रमनीश गिर ने भय, भूख और भाई भतीजावाद को करप्शन के 3 प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि दफ्तर के अंदर भी किसी अपने को प्रमोट करने के लिए दूसरों का हक मारना करप्शन का ही तरीका है। यदि आपने अपने अफसर की बात नहीं मानी तो वह आपको धमकी देगा कि आपका ट्रांसफर कर देगा। इस भय से आप जो गलत काम करते हैं, वो भी भ्रष्टाचार के दायरे में आएगा। आपको ये तय करना पड़ेगा कि आप खुद कितने ईमानदार हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारी नए नए तरीके इजाद करते रहते हैं।

करप्शन के तौर तरीके
डीआईजी मांझी ने यहां भ्रष्टाचार के नए नए तरीकों पर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि धनबाद में पोस्टेड रहते हुए दो तालाब जो बने ही नहीं, सिर्फ कागजों पर ही उनके बिल पास हो गए। उन्होंने कार्टून के माध्यम से भ्रष्टाचार के नए नए तौर तरीकों को बताया। साथ ही ये भी बताया कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल की रिपोर्ट ही हमारे पास देश में भ्रष्टाचार को मापने का एकमात्र तरीका है। अभी भारत का स्थान इसमें भूटान और अन्य देशों से काफी नीचे है। ऐसे में देश के भीतर से भ्रष्टाचार को कम करने के लिए हमें विजिलेंस बढ़ाना होगा। टोका टोकी शुरू करनी होगी। लोगों में एक भय पैदा करना होगा कि उनके अनुचित तौर तरीकों को कोई देख रहा है। उन्होंने कई प्रोडक्ट के विज्ञापनों के माध्यम से भी भ्रष्टाचार को रोकने की तरकीब बताई।

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