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इंदौर में खुदाई में भी खजाना मिलता है…

November 30, 2024

जहां दिखी कमाई वहां जुगत भिड़ाई… फिर सडक़ की खुदाई हो या पुल-पुलिया की बनवाई… या रंगाई पुताई… पहले बीआरटीएस बनवाया… अब उसे उखाड़ेंगे… इधर मेट्रो की तैयारी में लाखो ठिकाने लगाए… अब राह बदलने के पैतरे आजमाए… पलासिया पर एलिवेटेड ब्रिज के टेंडर कराए… ठेकेदारों को काम थमाए… एक दिन मुख्यमंत्री शहर में आए… चौराहों पर ब्रिज बनाने का पैगाम लाए… अब लटकते रहो… ना एलिवेटेड मिलेगा ना चौराहे पर ब्रिज बनेगा… दिन-महीने-साल गुजरते जाएंगे… फैसले में फिर फासला नजर आएगा और निर्णय फिर बदल जाएगा… यह शहर प्रयोगशाला बन चुका है… यहां लापरवाही के प्रयोग होते हैं… विचार करवटें लेते रहते हैं… ठेकेदार उगाई में लगे रहते हैं… कच्ची-पक्की सडक़ें बनवाते हैं… पैसे खाते-खिलाते हैं… बनवाई के चंद दिन गुजरते नहीं खोदने के ठेके देेते हैं और ठेकेदार फिर बनवाई की कीमत वसूलते हैं… एक अधिकारी नाला टेपिंग के नाम पर करोड़ों खर्च कर डालता हैं… बारिश आते ही गली-मोहल्ले पानी से भर जाते हैं… फिर नालों की बनवाई में नए पैसे लगाए जाते हैं… मजे की बात तो यह है कि फर्जी नाला टेपिंग करने वाले अधिकारी पुरस्कृत तक किए जाते हैं… पता नहीं वो पुरस्कार किस कीमत पर खरीदकर लाते हैं… पोल खुलने से पहले ही वो शहर से तबादला करवाते हैं और ठीकरा दूसरे अधिकारियों के नाम पर फोड़ जाते हैं… हमारा शहर भ्रष्टाचार का कुबेर बन चुका है… यहां एक नदी तो कमाई का जरिया बनी हुई है… कभी उसे खान नदी का नाला कहा जाता था, फिर उसमें हाथ धोने के लिए नेताओं और अधिकारियों ने उसे कान्ह और सरस्वती नदी बना डाला और उस सरस्वती ने ऐसा ज्ञान दिया कि हर अधिकारी उसके कीचड़ में डुबकी लगाकर उसकी शुद्धता के नाम पर पैसा खाता है… करोड़ों रुपये हर साल इस नाले को नदी बनाने के नाम पर खर्च किए जाते हैं, मगर नाला है कि कभी नदी बनने का नाम नहीं लेता है… हर साल उसमें से लाखों ट्रक गाद निकालते हैं और निकालते क्या है निकालने के नाम पर पैसा खाते हैं… निगम की इस सारी धांधलियों का हर्जाना शहर वाले भरते नजर आते हैं… शहर में हर साल एक नया टैक्स लगाया जाता है… सम्पत्ति कर बढ़ाया जाता है… गांवों को शहरों में मिलाया जाता है… जिन गांवों में ना सडक़ ना गटर ना पानी होता है … वहां से भी सम्पत्ति कर वसूला जाता है और मजे की बात तो यह है कि वसूली करने के लिए ना तो कोई गांव जाता है और ना गांव का नाम जानता है…. जानना क्या है वो तो गांव कहां है यह भी गूगल पर खोजा जाता है और सम्पत्ति दिखने पर नोटिस बनाकर कुर्की-जब्ती की धमकी देकर गांववाले को शहर में दौड़ाया जाता है और टैक्स वसूला जाता है… आश्चर्य तो तब होता है कि कंगाली का रोना रोने वाला और कर्मचारियों को वेतन के लिए रुलाने वाला निगम का खजाना इतना लबालब रहता है कि उसे चौपट करने के लिए फर्जी बिल बना-बनाकर खाली किया जाता है… इस गोरखधंघे में हर अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार शामिल हो जाता है… फिर जब घोटाला उजागर हो तो उसे दबाने के लिए हर अधिकारी पूरी कायनात की तरह एक होकर जुट जाता है… चवन्नी-अठन्नी चुराने वाले हों या सम्पत्ति कर नहीं चुकाने वाले… सबकी सम्पत्तियां जब्त करने वाला निगम इन घोटालेबाजों का स्कूटर तक जब्त नहीं कर पाता… कानून इस कदर खानापूर्ति करता है कि बिल घोटाला बिल में दबा दिया जाता है… जब इतने बड़े-बड़े घोटालों पर खामोशी छा जाए तो बनी हुई सडक़ खोदने और फिर बनने-बनाने के खर्च की जांच कौन करेगा… जो चल रहा है चलता रहेगा… जनप्रतिनिधि भी खामोश रहेगा क्योंकि जो कुछ हो रहा है उसमें उसका भी किस्सा और हिस्सा रहता है और जनता… हम और तुम…इतने गूंगे और बहरे हो गए हैं कि सडक़ खुदे या घर टूटे… रोते-बिलखते… चीखते-चिल्लाते मन मसोस कर खामोश हो जाते हैं… क्योंकि कानून भी साथ नहीं देता… टूटे मकानों से लेकर अपनी जमीन का मुआवजा तक नहीं मिलता… इसीलिए बलवान की बलिहारी… समरथ को नहीं दोष गुसाई… हम हैं कि तुम्हारी खुदी… हमारी बची… इस बात को लेकर निजात पाई…

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कल रहा इंदौर का पहला कोल्ड-डे, दिन का पारा सामान्य से 5 डिग्री नीचे पहुंचा

Sat Nov 30 , 2024
इंदौर। शहर (Indore) में रात (Night) के बाद अब दिन में भी ठंड (cold) का असर बढ़ता जा रहा है। कल इंदौर में दिन का अधिकतम तापमान (Maximum Temperature) सामान्य से 5 डिग्री कम रहा। इसके चलते कल इस सीजन का पहला कोल्ड-डे (first cold day) भी रहा। हालांकि भोपाल मौसम केंद्र ने इसकी आधिकारिक […]
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