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बृजभूषण मामले में कई राज्यों पर दिख रहा असर; एक्शन क्यों नहीं ले रही भाजपा?

नई दिल्‍ली (New Delhi)। भारतीय कुश्ती महासंघ (wfi) अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित (committee formed) की गई है। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने बृजभूषण पर चोटी के पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए शुक्रवार को सात सदस्यीय समिति गठित की। इस कमेटी में एमसी मैरीकॉम और योगेश्वर दत्त जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ से अभी तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
संघ और भाजपा के नेता ज्ञानेश्वर को यह नहीं पता कि बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के मामले में कोई निर्णायक स्थिति क्यों नहीं बन पा रही है? हालांकि ज्ञानेश्वर कहते हैं कि बृजभूषण पर दुविधा की स्थिति से फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है।

यह नुकसान उत्तर प्रदेश में उतना नहीं है, जितना हरियाणा, राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों में है। यूपी पुलिस विभाग के एक आईजी ने भी माना कि मामले की संवेदनशीलता को देखकर ही बृजभूषण शरण सिंह को 5 जून को अयोध्या में रैली करने की इजाजत नहीं दी गई थी। सूत्र का कहना है कि राज्य सरकार का यह फैसला सोच समझकर ही लिया गया होगा। इस मामले में यूपी के एक कैबिनेट मंत्री ने फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।



लखनऊ में बृजभूषण शरण सिंह पर कार्यवाही का मामला काफी चर्चा में है। एनेक्सी, शास्त्री भवन में बैठने वाले सचिव स्तर के अधिकारी ने कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। वह कहते हैं कि बृजभूषण एक दबंग सांसद और बाहुबली नेता हैं। कुछ तो कारण होगा। संजय दीक्षित भाजपा के प्रचार-प्रसार से जुड़े हैं। संजय दीक्षित बृजभूषण से जुड़े सवाल पर कुछ भी बोलने से कतराते हैं। काफी कुरेदने पर कहते हैं कि यह मामला भी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की तरह गले की फांस बनता जा रहा है, लेकिन दिल्ली वाले कुछ अच्छा सोच रहे होंगे।

बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं और छह बार के सांसद। पांच बार भाजपा के टिकट पर संसद में पहुंचे हैं और एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते। स्व. मुलायम सिंह से भी करीबी रिश्ते के लिए जाने जाते थे। 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर गोंडा से सांसद बने थे। 2008 तक वह भाजपा में थे, लेकिन लोकसभा में विश्वास मत के दौरान क्रॉस वोटिंग करने के बाद भाजपा ने निष्कासित कर दिया था। तब वह समाजवादी पार्टी में चले गए थे। 2009 का लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर लड़कर जीता था। 16वीं लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भाजपा में आने का सुझाव दिया गया था। यूपी के प्रभारी अमित शाह ने इस रास्ते को आसान बनाया था। इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह ने पार्टी में वापसी की और 2014 तथा 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता। जब टाडा के तहत तिहाड़ जेल में बंद थे तो उनकी पत्नी केतकी सिंह ने चुनाव लड़ा और जीत गई। इतना ही नहीं उनके पुत्र प्रतीक शरण सिंह भी दो बार से विधायक हैं। बृजभूषण शरण सिंह के तीन बेटे और एक बेटी शालिनी थी। इनमें से दूसरे नंबर के बेटे शक्ति शरण सिंह ने जून 2004 में पिता की लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर आत्म हत्या कर ली थी।

बृजभूषण के दबदबे की दास्तान
खुद बृजभूषण ने कुबूल किया है कि 1987 में जिले के गन्ना डायरेक्टर के चुनाव में पर्चा भरने पर जब उन्हें पुलिस अधीक्षक ने बुलाकर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया तो उन्होंने उन पर पिस्टल तान दी थी। आज बृजभूषण के पास अनुमान के मुताबिक 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति, अपने घोड़े, 50 से अधिक स्कूल का प्रबंधन, कुश्ती के लिए अखाड़ा, स्टेडियम आदि हैं। लक्जरी गाड़ियों का काफिला है। अपना हेलीकॉप्टर भी है। बृजभूषण शरण सिंह की गोड़ा, बलरामपुर, बहराइच तक तूती बोलती है। दर्जन भर के करीब विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं। आसपास की लोकसभा सीटों पर भी उनके समर्थकों की अच्छी तादाद है। यूपी के राजनीतिक दलों में ठाकुर विधायकों और सांसदों के बीच में अच्छी पकड़ और रुतबा रखते हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम मंत्रियों से उनकी निभती है। एक उदाहरण के तौर उन्होंने एक बार केंद्रीय पेट्रोलियम एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से अपने मिजाज में बात कर ली थी। पुरी को उम्मीद थी कि बृजभूषण को पार्टी कुछ चेतावनी देगी, लेकिन बृजभूषण के रसूख के चलते कुछ नहीं हुआ।

अटल जी से भी खास रहा है रिश्ता
बृजभूषण शरण सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव में न केवल सहयोग करते थे, बल्कि उन्हें अटल जी का स्नेह भी प्राप्त था। 1996 में जब तिहाड़ जेल में बंद थे तो अटल जी ने पत्र भी लिखा था। झारखंड में मंच पर एक युवा पहलवान को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल हुआ था। गोंडा, बलरामपुर, बहराइच में उनसे जुड़े तमाम किस्से सुनने को मिल जाते हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस में जहां बृजभूषण शरण सिंह आरोपी थे, वहीं उनके ऊपर तमाम संगीन धाराएं लग चुकी हैं।

क्या हैं इसके सियासी मायने?
यूपी के ठाकुर विधायकों में बृजभूषण शरण सिंह का क्रेज है। गोंडा, बलरामपुर, बहराइच में प्रभाव है। फैजाबाद, अयोध्या तक चर्चित हैं। यह मूल और कोर एरिया है। इसके अलावा प्रदेश के क्षत्रियों में जगह बनाते हैं। इसे भाजपा के राजनीतिक फायदे वाला क्षेत्र कहा जा सकता है। सोशल मीडिया पर भी इसका असर दिखाई देता है। लेकिन पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों में अब भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ कम और नुकसान होने का अंदेशा अधिक है। भाजपा के एक प्रवक्ता मानते हैं कि क्रिकेटर कपिल देव समेत अन्य क्षेत्र के खिलाड़ियों के पहलवानों के समर्थन में उतरने से मामला पेंचीदा होता जा रहा है। किसान नेताओं ने भी इसे जाट बनाम अन्य की लड़ाई बना दी है।

क्या बृजभूषण शरण सिंह पर होगी कार्रवाई?
अब इसके संकेत दिखाई देने लगे हैं। भाजपा में भी दो मत हैं। भाजपा में अब बृजभूषण शरण सिंह से हमदर्दी रखने वाले बहुत कम नेता हैं। यह मानने वालों की संख्या बढ़ रही है कि पहलवानों की शिकायत पर कोई कार्रवाई होनी चाहिए। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बृजभूषण को इस तरह से मीडिया में नहीं आना चाहिए। बृजभूषण मामले को शांत करने का अवसर भी नहीं दे रहे हैं। उन्हें अयोध्या में 5 जून को रैली करने का दबाव बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। कुछ दिन शांत रहते तो अच्छा था। सूचना एवं प्रसारण तथा खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कुछ इसी तरह के संकेत दिए हैं। दूसरी तरफ किसान नेताओं ने खाप पंचायत में केंद्र सरकार को 9 जून का अल्टीमेटम देकर भी मामले को पेंचीदा बना दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि बढ़ रहे दबाव में साख बचाने के लिए अब सरकार को पुलिस जांच और तथ्यों को तेजी से आगे बढ़ाने का कदम उठाना होगा।

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