इंदौर न्यूज़ (Indore News)

चाबी बनाने के नाम से दूसरे राज्यों में जाते और देसी पिस्टल के ऑर्डर लेकर आते हैं

  • वॉट्सऐप पर फोटो भेजकर पसंद करवाते, फिर खाते में एडवांस पैसा डलवाते हैं सिकलीगर

इंदौर। तेजाजी नगर पुलिस (Tejaji Magar Police) ने पंजाब (Punjab) और सीहोर (Sihor) के दो एजेंटों के साथ खरगोन (Khargone) के सिकलीगरों को पकड़ा था। इनके पास से दस देसी पिस्टल और कारतूस (Desi Pistol, Cartridge) जब्त हुए थे। पुलिस (Police) को आरोपियों से पूछताछ में कई जानकारियां मिली हैं। बताते हैं कि ये लोग चाबी बनाने के बहाने कई राज्यों में जाते हैं और वहां के बदमाशों से देसी पिस्टल (Desi Pistol) का ऑर्डर लेकर आते हैं। पैसा भी एडवांस में अपने खाते में डलवा लेते हैं। इस मामले में भी सिकलीगरों ने पंजाब के एजेंट से पैसा खाते में डलवा लिया था, जिसे सीज किया जा रहा है।
यूं तो खरगोन, सेंधवा, धार, बड़वानी के सिकलीगर देशभर में देसी पिस्टल बेचने के मामले में कुख्यात हैं, लेकिन पुलिस सूत्रों का कहना है कि इंदौर और आसपास लगातार पुलिस की कार्रवाई के चलते अब ये लोग दूसरे राज्यों में ज्यादा सप्लाई कर रहे हैं। ये लोग चाबी बनाने के बहाने दूसरे राज्यों में जाते हैं। प्रमुख रूप पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र (Punjab, Haryana, Rajasthan, Delhi, Maharashtra) में देसी पिस्टल सप्लाई कर रहे हैं। यहां ये लोगों से संपर्क करते हैं और फिर उनको वॉट्सऐप पर देसी पिस्टल के फोटो भेजते हैं। पसंद आने पर अपने खाते में एडवांस पैसा जमा करवाते हैं और फिर एक-दो दिन में लेने के लिए भी उन्हे ही बुलाते हैं, लेकिन फिर भी एक-दो दिन उनको इधर-उधर घुमाते हैं और जब लगता है कि पुलिस उनके साथ नहीं है तो डिलीवरी देते हैं।

जेल में रहते बन गया नेटवर्क
पुलिस सूत्रों के अनुसार सिकलीगर देशभर की जेलों में बंद रह चुके हैं। इस दौरान वहां बंद अन्य राज्यों के बदमाशों से उनका संपर्क हो जाता है। इसके चलते उनका कई राज्यों में नेटवर्क है और अब तक उनके कई एजेंट भी बन चुके हैं। इंदौर में लगातार कार्रवाई के बाद क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने दो दर्जन से अधिक सिकलीगर पिछले एक साथ में पकड़े हैं, जो काफी समय तक इंदौर की जेल में रहे हैं, जहां बाहर के कई अपराधी भी सजा काट रहे हैं।

मजदूर के साथ भेजते हैं हथियार
सिकलीगर भी समय-समय पर हथियारों की डिलीवरी का तरीका बदलते रहते हैं। अब वे पुलिस से बचने के लिए खेतों में काम करने वाले मजदूरों का सहारा ले रहे हैं। उन्हें डिलीवरी के लिए गांव के बाहर या पहाड़ी पर भेजते हैं। इसके लिए उन्हें मात्र एक हजार रुपए देते हैं। यदि पकड़े गए तो उनकी जमानत की भी व्यवस्था करते हैं। ऐसे ही कुछ आदिवासी मजदूर कुछ दिन पूर्व सेंधवा पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान पकड़े गए थे।


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