विदेश

UNSC की बैठक में भारत ने कहा- सभी पक्ष शांति से हल निकालें

जिनेवा । संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने यूक्रेन (Ukraine) पर यूएनएससी की बैठक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हासिल करने के व्यापक हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचा जा सकता है. साथ ही कहा कि शांत और रचनात्मक कूटनीति समय की मांग है.

उन्होंने आगे कहा कि 20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं और पढ़ाई करते हैं, जिसमें इसके सीमावर्ती क्षेत्र भी शामिल हैं. भारतीय नागरिकों की भलाई हमारे लिए प्राथमिकता है.



हम ये सुनिश्चित करने के लिए ईमानदारी से और निरंतर राजनयिक प्रयासों से स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने आह्वान को दोहराते हैं कि रचनात्मक बातचीत के माध्यम से सभी पक्षों की चिंताओं को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाए. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि कूटनीति इस संकट को हल करने का एकमात्र तरीका है. उन्होंने कहा कि ये संकट इस परिषद के प्रत्येक सदस्य और दुनिया के सभी देशों को सीधे प्रभावित कर रहा है. रूस आज घोषणा कर सकता है कि वो यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा और इसे स्पष्ट रूप से दुनिया को बताए और फिर अपने सैनिकों, टैंकों को उनके बैरक और हैंगर में वापस भेजकर और राजनयिकों को बातचीत की मेज पर भेजे.

वहीं रूस ने यूएनएससी में कहा कि बुधवार को यूक्रेन के उपराष्ट्रपति ने कहा था कि डोनबास की विशेष स्थिति पर कोई नया कानून नहीं होगा, इसलिए कोई प्रत्यक्ष समझौता नहीं होगा. उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि मिन्स्क समझौते को लागू करने के लिए पश्चिम देश की तरफ से उन पर कोई दबाव नहीं डाला गया है. रूस की ओर से कहा गया है कि पश्चिम देश का एकमात्र लक्ष्य युद्ध करना है. अगर ऐसा नहीं होता, तो यूक्रेन की कठपुतली सरकार बहुत पहले ही मिन्स्क समझौते को लागू करने के लिए मजबूर हो जाती. अब जब ऐसा नहीं हो रहा है तो हम ये कह सकते हैं कि पश्चिम रूस के साथ युद्ध चाहता है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि चार देशों (क्वाड) के विदेश मंत्रियों के बीच हाल में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में हुई बैठक में रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हुई. भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्री इस बैठक में शामिल हुए थे. प्राइस ने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस मामले के राजनयिक-शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है.

 

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