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भारत ने फिर उठाई UN में बदलाव की मांग, जयशंकर बोले- ये हमारी विदेश नीति का हिस्सा

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 77 साल पुराने संगठन संयुक्त राष्ट्र को नया रूप देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में बड़े बदलाव के लिए जोर देना नयी दिल्ली की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जयशंकर ने ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के प्रयासों से भारतीय समुदाय के साथ हमारे संबंध मजबूत हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र में सुधारों और इनमें भारत की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 1945 में हुई थी. मैं लोगों से कहता हूं कि कोई ऐसी चीज बताएं जो 77 साल पुरानी हो और उसमें आपको सुधार की जरूरत न लगती हो. लोग बदलते हैं, संस्थानों में भी बदलाव होने चाहिए. हमें बदलाव की जरूरत है. दुनिया का एक बड़ा हिस्सा यह नहीं मानता कि संयुक्त राष्ट्र निष्पक्षता से उसकी आवाज उठाता है.

UN में सुधार के लिए भारत सबसे आगे
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में काफी समय से लंबित सुधारों के लिए हुए प्रयासों में भारत सबसे आगे रहा है. भारत कहता रहा है कि वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का हकदार है. जयशंकर ने कहा, समस्या यह है कि जो प्रभावशाली हैसियत रखते हैं वे स्पष्ट रूप से अपने प्रभाव को कम होते नहीं देखना चाहते. ऐसे में हम लोगों को उस परिवर्तन के लिए कैसे राजी कर सकते हैं, जो अपने अल्पकालिक फायदों के कारण पुरानी प्रणाली से चिपके रहने के लिए मजबूर हैं, यह एक वास्तविक समस्या है.


संयुक्त राष्ट्र में सुधार भारत की विदेश नीति- विदेश मंत्री
मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधारों पर जोर देना भारत की विदेश नीति का एक अभिन्न अंग है. उन्होंने कहा कि परिवर्तन रातों-रात नहीं होगा. विदेश मंत्री ने कहा कि हम कोशिशें जारी रखेंगे. यह हमारे लिए और हमारी विदेश नीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण लक्ष्य है. यह रातों-रात नहीं होगा, लेकिन एक दिन ऐसा होगा, मुझ पर विश्वास करें.

सुरक्षा परिषद में पांच देश
सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं. ये देश किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं. समकालीन वैश्विक वास्तविकता को दर्शाने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है. जयशंकर ने भारतीय समुदाय से संबंध मजबूत होने के लिए पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास की सराहना की.

मंत्री से जब पूछा गया कि स्वराज के भारतीय विदेश मंत्री रहते विदेश नीतियों में क्या बदलाव आया, तो उन्होंने कहा, मुझे बहुत खुशी है कि आपने मेरी पूर्ववर्ती दिवंगत सुषमा स्वराज जी का उल्लेख किया. तथ्य यह है कि विदेश में भारतीय समुदायों के साथ हमारे संबंध मजबूत हुए हैं और मजबूत रहेंगे, उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया.

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