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चीन के जाल में फंसे श्रीलंका की मदद के लिए आगे आया भारत, भेजा 40,000 मीट्रिक टन डीजल


कोलंबो। चीन के कर्ज-जाल में फंसे श्रीलंका की मदद के लिए उसका ‘मित्र देश’ भारत (India Helps Sri Lanka) आगे आया है। भारत ने शनिवार को ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka Economic Crisis) को मदद के रूप में 40,000 मीट्रिक टन डीजल भेजा। श्रीलंका आजादी के बाद से अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश के सैकड़ों पेट्रोल पंपों (Fuel Crisis in Sri Lanka) पर न तेल है और न ही लोगों के घरों में बिजली। खबरों के मुताबिक इतनी ही मात्रा में चावल की खेप तैयार की जा रही है।

भारत और श्रीलंका ने पिछले महीने एक अरब डॉलर के ऋण समझौते पर साइन किए थे जिसके बाद से यह सबसे पहली बड़ी खाद्य सहायता होगी। भारतीय मदद से श्रीलंकन सरकार चावल के दाम कम कर सकेगी जो पिछले साल दोगुने हो गए थे। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने गंभीर आर्थिक संकटों को लेकर देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रव्यापी सार्वजनिक आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी है।


राष्ट्रपति के घर के बाहर हिंसक प्रदर्शन में कई घायल
राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक आपातकाल लागू करने की घोषणा की। शुक्रवार देर रात, राष्ट्रपति राजपक्षे ने देश में चल रहे ईंधन और ऊर्जा संकट पर इस्तीफे की मांग को लेकर बढ़ते सार्वजनिक विरोध के बीच सेना को बिना किसी मुकदमे के संदिग्धों को गिरफ्तार करने और लंबे समय तक रिमांड पर रखने की अनुमति देते हुए सख्त कानून लागू किए। गुरुवार रात, कोलंबो के उपनगरीय इलाके में राष्ट्रपति के घर के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जहां पुलिस जनता के साथ भिड़ गई, जिसमें 24 पुलिसकर्मी और 15 नागरिक घायल हो गए।

सहयोगी दल ने राजपक्षे को दी चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने एक बस और पुलिस के कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया। 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 20 को शुक्रवार को जमानत मिल गई, जबकि बाकी को रिमांड पर लिया गया। कोलंबो के कुछ हिस्सों और पूरे पश्चिमी प्रांत में रात भर कर्फ्यू लगा दिया गया, जहां राजधानी शहर स्थित है। इस बीच पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व वाली सरकार की सहयोगी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) ने राष्ट्रपति से संकट को हल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ एक कार्यवाहक सरकार बनाने का आग्रह किया।

13 घंटे की बिजली कटौती और तेल के लिए लंबी कतारें
पार्टी ने धमकी दी कि अगर राजपक्षे ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वह अपने सांसदों के सभी मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। 14 सांसदों के साथ, एसएलएफपी ने राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार को 225 सांसदों के साथ संसद में 2/3 बहुमत हासिल करने में मदद की है। श्रीलंका बेहद गंभीर आर्थिक संकटों से गुजर रहा है। लोगों को प्रतिदिन 13 घंटे बिजली कटौती से गुजरना पड़ रहा है, ईंधन और गैस प्राप्त करने के लिए लोगों को कतारें लगानी पड़ रही हैं।

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