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EY Report : वर्ष 2047 तक 26 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा भारत

दावोस (davos)। कोविड महामारी (covid pandemic) और वैश्विक आर्थिक संकट (global economic crisis) से गुजरने के बावजूद साल 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था 26 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। वहीं, साल 2028 में भारत 5 लाख करोड़ और 2036 में 10 लाख करोड़ के पड़ाव पर पहुंच जाएगा। दावोस में वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई (global consultancy firm EY) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।



यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच के मुख्य आयोजन के अलावा हुए एक अन्य कार्यक्रम में पेश की गई। ‘इंडिया एट 100 : रीयलाईजिंग द पोटेंशियल ऑफ 26 ट्रिलियन इकोनॉमी’ नाम से पेश इस रिपोर्ट के अनुसार 2047 में प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय 15 हजार डॉलर यानी मौजूदा विनिमय दर के लिहजा से करीब 12.25 लाख रुपये पहुंच जाएगी, यह आज के स्तर से 6 गुना से अधिक होगी। रिपोर्ट में दावा है कि 2030 तक भारत जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका होगा। सभी अनुमान 6 प्रतिशत की सालाना औसत वृद्धि दर के आधार पर दिए गए हैं। ईवाई के सीईओ कार्मिन डी सिबियो ने दावा किया कि भारत ने भारी क्षमताएं दर्शाई हैं, उसकी प्रगति पूरे विश्व मंच पर असर डालने लगी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार भारत प्रतिभाओं का सबसे बड़ा सागर है, आर्थिक सुधार तेजी से लागू हो रहे हैं, ऊर्जा के स्रोतों में बदलाव लाए जा रहे हैं और वह डिजिटल रूप में ढल रहा है। यह सभी बातें लंबे समय तक उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर रखेंगी। वहीं सबसे अहम आईटी और अन्य सेवाएं भारत को विश्व में मजबूत स्थान देंगी। पिछले 2 दशक में भारत का सेवा संबंधित निर्यात 14% की दर से बढ़ कर 2021-22 में 25,450 करोड़ डॉलर पहुंच चुका है। इनमें अकेले आईटी और बीपीओ सेवाएं 15,700 करोड़ डॉलर की रहीं, जबकि गैर-आईटी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारतीय प्रतिभाएं पूरे विश्व की जरूरतें पूरी करेंगी। खासतौर से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में क्योंकि वहां कुशल मानव संसाधनों की कमी होने जा रही है।

विश्व आर्थिक मंच में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने अपने वक्तव्य में बताया कि वे भारत और कुछ अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने के लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है और दोनों ने समझौते के लिए पिछले हफ्ते ही बातचीत शुरू की है।

भारत में मजबूत मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी ने वित्तीय समावेशन बढ़ाने में मदद की है। बैंक प्रतिनिधियों के नेटवर्क और माइक्रो एटीएम से दूर-दराज तक बैंकों की पहुंच बढ़ी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने ‘फाइनेंशियल इंक्लूजन बियॉन्ड एक्सेस’ सत्र में कहा कि महामारी में भी बैंकों ने कैश के साथ अनाज वितरण में भी मदद की।

फाइनेंशियल टाइम्स के मुख्य अर्थशास्त्र टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ फॉल ने विश्व आर्थिक मंच में दावा किया कि अगले दो दशक में भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनेगा। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में हुए एक विशेष सत्र में कहा कि उन्हें लंबे समय से यह विश्वास रहा है, और जो लोग लंबे समय से भारत के बारे में जानते हैं वे भी यह मानेंगे। अगले 10 से 20 वर्षों में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनेगा।

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