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ईरान के साथ भारत की बड़ी डील, चीन-पाकिस्तान को मिलेगा जवाब?

नई दिल्ली: भारत और ईरान (India and Iran) के बीच एक बड़ी डील हुई है. ये डील ईरान के चाबहार पोर्ट से जुड़ी है. इस डील के तहत, भारत 10 साल तक ईरान के चाबहार पोर्ट को संभालेगा. केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल  (Union Minister Sarbananda Sonowal)ने इसकी जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि भारत 10 साल के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट को डेवलप और ऑपरेट करेगा. उन्होंने इस समझौते को भारत-ईरान संबंधों और रीजनल कनेक्टिविटी के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया. कुल मिलाकर ये है कि ईरान के चाबहार पोर्ट को 10 साल तक भारत संभालेगा. बताया जा रहा है कि ये पहली बार है जब भारत विदेश में किसी बंदरगाह को संभालेगा. भारत और ईरान के बीच हुई इस डील को पाकिस्तान और चीन के लिए करारा जवाब भी माना जा रहा है. ऐसे में समझते हैं कि ये समझौता कितना अहम है? और इससे पाकिस्तान और चीन को कैसे जवाब मिलेगा?

चाबहार में दो पोर्ट हैं. पहला- शाहिद कलंतरी और दूसरा- शाहिद बहिश्ती. शिपिंग मिनिस्ट्री की इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल शाहिद बहिश्ती का काम संभालती है. भारत वैसे तो पहले से ही इस पोर्ट का कामकाज संभाल रहा था. लेकिन ये शॉर्ट-टर्म एग्रीमेंट था. समय-समय पर इसे रिन्यू करना पड़ता था. लेकिन अब 10 साल के लिए लॉन्ग-टर्म एग्रीमेंट हो गया है. सालों से भारत और ईरान के बीच लॉन्ग-टर्म एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही थी. लेकिन कई कारणों की वजह से इसमें देरी आ रही थी. बीच में भारत और ईरान के बीच भी रिश्तों में थोड़ी तल्खी आ गई थी. इसके अलावा ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भी इस समझौते में देरी हुई. बताया जा रहा है कि इस डील के तहत इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार बंदरगाह में लगभग 12 करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट करेगा.


भारत चाबहार पोर्ट का एक हिस्सा डेवलप कर रहा है, ताकि ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों तक सामान पहुंचाया जा सके. नई डील से पाकिस्तान के कराची और ग्वादर पोर्ट को बायपास किया जा सकेगा और ईरान के जरिए दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच कारोबारी रास्ता खुलेगा. 2003 में ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद खातमी ने भारत की यात्रा की थी. उनकी यात्रा के दौरान भारत और ईरान के बीच कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनमें चाबहार प्रोजेक्ट भी शामिल था. चाबहार प्रोजेक्ट में दो अलग-अलग बंदरगाह बन रहे हैं. माना जाता है कि भारत शाहिद बहिश्ती पोर्ट में निवेश कर रहा है. चाबहार पोर्ट की लोकेशन इसे रणनीतिक लिहाज से काफी अहम बनाती है. चाबहार ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर है. चाबहार जहां स्थित है, वहां से पाकिस्तान की सीमा भी लगती है. और ये पाकिस्तान में बन रहे ग्वादर पोर्ट के भी नजदीक है. चीन ने जब बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत ग्वादर पोर्ट बनाना शुरू किया तो खुद-ब-खुद चाबहार पोर्ट की अहमियत भी बढ़ गई.

मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ईरान के दौरे पर गए थे, तब उन्होंने चाबहार पोर्ट में 55 करोड़ डॉलर खर्च करने का ऐलान किया था. ईरान और अफगानिस्तान तक भारत की सीधी पहुंच के लिए चाबहार पोर्ट अहम जरिया है. एक ओर, अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभावों से निपटने में चाबहार पोर्ट से ईरान की मदद हो सकती है. दूसरी ओर, हिंद महासागर तक पहुंच के लिए अफगानिस्तान की निर्भरता पाकिस्तान पर कम हो सकती है. 2016 में भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच इंटरनेशनल ट्रेड कॉरिडोर को लेकर समझौता हुआ था. इस कॉरिडोर में चाबहार को भी शामिल किया जाएगा. इसके बाद भारत ने शाहिद बहिश्ती का काम तेज कर दिया था. शाहिद बहिश्ती के पहले फेज का काम दिसंबर 2017 में पूरा हो गया था. तब भारत ने यहीं से अफगानिस्तान तक गेहूं की पहली खेप भेजी थी. 2019 में पहली बार चाबहार पोर्ट के जरिए अफगानिस्तान से कोई सामान भारत आया था.

शाहिद बहिश्ती पोर्ट का काम चार फेज में पूरा होना है. काम पूरा होने के बाद इसकी क्षमता 8.2 करोड़ टन सालाना हो जाएगी. यहां पर एक क्रूज टर्मिनल भी बनकर तैयार हो गया है, जिससे इस पोर्ट की क्षमता और बढ़ गई है. ईरान में बन रहे चाबहार पोर्ट को चीन और पाकिस्तान के लिए जवाब भी माना जा रहा है. इस कारण भारत की यहां दिलचस्पी खासी है. ग्वादर पोर्ट में चीन की मौजदूगी की वजह से चाबहार पोर्ट में भारत का होना फायदेमंद है.

चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बना रहा है. ग्वादर पोर्ट और चाबहार पोर्ट के बीच सड़क के रास्ते 400 किलोमीटर की दूरी है. जबकि, समंदर के जरिए ये दूरी 100 किलोमीटर के आसपास है. इतना ही नहीं, चाबहार पोर्ट को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) से भी जोड़ा जाएगा. इस कॉरिडोर के तहत भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप तक जहाज, रेल और सड़क का 7,200 किलोमीटर लंबा नेटवर्क तैयार किया जाएगा. इससे भारत की यूरोप और रूस तक पहुंच भी आसान हो जाएगी. इसके अलावा, चाबहार पोर्ट का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि भारत, पाकिस्तान को बायपास कर ईरान और मध्य एशिया तक पहुंच सकेगा.

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