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Indore: 200 वर्ष पुरानी परम्परा टूटी, जिला प्रशासन की सख्ती से नहीं हुआ हिंगोट युद्ध

– पुलिस ने 32 लोगों से भरवाए बांड, नियम तोड़ने पर कार्रवाई की चेतावनी

इंदौर। इंदौर (Indore) के गौतमपुरा में दीपावली के दूसरे दिन हिंगोट युद्ध (Hingote war) होता है। यह परम्परा 200 वर्षों (200 year old tradition) से चली आ रही है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह परम्परा टूट गई। दिवाली के दूसरे दिन शुक्रवार को देर शाम तक पारंपरिक बड़े स्तर पर हिंगोट युद्ध नहीं हो सका। पुलिस ने युद्ध में शामिल होने वाले 32 लोगों को चिन्हित कर उनसे बांड भरवाया है। साथ ही चेतावनी दी है कि माहौल बिगड़ने पर वे जिम्मेदार होंगे। उन पर शांति भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, परम्परा निभाने के लिए शाम को कुछ लोगों ने अपने घरों से ही हिंगोट फेंके, लेकिन पारम्परिक युद्ध नहीं हो सका।


गौरतलब है कि इंदौर से करीब 60 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध की परम्परा 200 साल से चली आ रही है। यहां हर साल दीपावली के दूसरे दिन गौतमपुरा और रूणजी गांव के बीच हिंगोट युद्ध होता है। इसमें गांव वाले एक-दूसरे पर बारूद से बने हिंगोट एक-दूसरे पर फेंकते हैं। इसमें कई बार ग्रामीण घायल भी होते हैं और कई बार योद्धाओं की मौत भी हो जाती है।

पिछले दो साल से पुलिस इस परम्परा को तोड़ने का प्रयास कर रही है। इस बार भी हिंगोट युद्ध को रोकने के लिए पुलिस ने मैदान में अस्थायी चौकी बनाई है। इसमें जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। रास्ते में कई स्थानों पर पुलिस की चौकियां भी बनी हैं। रास्ते भी बंद कर दिए हैं। इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। युद्ध के मैदान में किसी को जाने नहीं दिया गया।

गौतमपुरा थाना प्रभारी भरतसिंह ठाकुर ने बताया कि अधिकारियों के साथ मैदान पर बल तैनात किया गया है। जनता देवनारायण मंदिर में दर्शन करने जा सकती है। रही बात प्रतीकात्मक रूप से युद्ध खेलने की, तो इस बारे में अभी तक कोई हमसे या अधिकारियों से बात करने नहीं आया है। इस बारे में भी उच्च अधिकारी ही निर्णय लेंगे।

बता दें कि पिछले साल कोरोना के नाम पर पुलिस ने हिंगोट युद्ध रोकने का प्रयास किया था। मैदान में अस्थाई चौकी बनाई थी, लेकिन योद्धा माने नहीं और युद्ध शुरू कर दिया। युद्ध रोकने के दौरान पुलिस जवान रमेश गुर्जर की वर्दी जलने के साथ उन्हें मामूली चोट भी आई थी। इसके बाद तुर्रा ओर कलंगी दल के योद्धाओं ने मैदान पर न जाते हुए नगर के विभिन्न स्थानों पर जाकर एक साथ हिंगोट फेंकना शुरू कर दिया था। पुलिस योद्धाओं को एक जगह रोकने जाती थी। दूसरी तरफ दूसरे योद्धा हिंगोट फेंकना शुरू कर देते थे। आखिरी में तो एक योद्धा ने बीच मैदान में जाकर हिंगोट फेंक दिया। परंपरा को कायम रखने की बात कही।

इस बार सख्ती बढ़ा दी गई है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी यहां मैदान के आसपास भटकने वाले लोगों से भी पूछताछ कर रही है। उन्हें समझाइश देकर वापस भेजा जा रहा है। गांव के बाहर से आने वाले लोगों से कारण पूछकर उन्हें पुलिस चौकियों से आगे निकलने दिया जा रहा है। हिंगोट युद्ध देर शाम तक शुरू होता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ।

परम्परा टूटने से क्षेत्र की जनता में आक्रोश है। योद्धाओं की बात प्रशासन तक पहुंचाने में अभी कोई आगे नहीं आया है। योद्धाओं का कहना है कि हिंगोट युद्ध प्राचीन परंपरा है, इसलिए प्रतीकात्मक रूप से इसकी परंपरा को निभाने दिया जाना चाहिए। (एजेंसी, हि.स.)

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