इंदौर न्यूज़ (Indore News)

INDORE : एयरोब्रिज बना दिए, विमान खेंचने के टो-बार ही नहीं

  • कल शाम एयरपोर्ट पर हुई सिक्युरिटी कमेटी की बैठक में एयरपोर्ट प्रबंधन ने दोनों कंपनियों को तुरंत टो-बार की व्यवस्था करने के दिए निर्देश

इन्दौर। यह सुनकर आपको आश्चर्य होगा कि देश में विमानों (flights) का संचालन करने वाली दो बड़ी कंपनियां एयर इंडिया (Air India) और विस्तारा के पास इंदौर (indore) में विमानों की हैंडलिंग के लिए टो-बार मशीनें तक उपलब्ध नहीं है। ट्रैक्टर (tractor) की तरह की ये मशीनें विमानों को खींचकर एयरोब्रिज (overbridge)  तक लाने और धकेलकर वापस ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इनकी कमी से यात्रियों को बसों से विमानों तक आना और जाना पड़ रहा है और सीढिय़ों से विमान में चढऩा और उतरना पड़ रहा है।
कल शाम एयरपोर्ट पर हुई एयरपोर्ट सिक्युरिटी कमेटी की बैठक में इसे लेकर एयरपोर्ट प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए एयर इंडिया और विस्तारा एयर लाइंस के अधिकारियों को तुरंत विमानों की हैंडलिंग के लिए टो-बार की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। प्रभारी एयरपोर्ट डायरेक्टर प्रबोध शर्मा (airport director prabhod sharma) ने बताया कि मुख्यालय के निर्देश हैं कि सभी विमानों को एयरोब्रिज पर लगाने और वापस धकेलने के लिए एयर लाइंस टो-बार का इस्तेमाल करें। अक्सर कंपनियां एयरोब्रिज पर विमानों को लगाने के लिए तो इस उपकरण का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन धकेलने के बजाए घुमाकर वापस ले जाती हैं। इसे लेकर भी कंपनियों को निर्देशित किया कि वे टोबार की मदद से ही विमान को पीछे ले जाए, साथ ही विस्तारा और एयर इंडिया के अधिकारियों ने बताया कि उनके उपकरण खराब होने के कारण परेशानी आ रही है। इसे लेकर उन्हें तुरंत उपकरण ठीक करवाने या दूसरे उपकरण बुलवाने के निर्देश दिए।




एयर लाइंस की कमी से यात्री हो रहे परेशान

एयरपोर्ट डायरेक्टर (Airport Director) ने बताया कि टोबार नहीं होने से विमान एयरोब्रिज (Flight overbridge) पर नहीं लग पाते हैं, उन्हें एप्रीन पर ही खड़ा करना पड़ता है। यहां तक यात्रियों को लाने और ले जाने के लिए बसों का इस्तेमाल करना पड़ता है और उतरने-चढऩे के लिए अलग से सीढिय़ां लगाना पड़ती है। इससे यात्री भी परेशान होते हैं। पिछले कई दिनों से कंपनियों की ओर से इसकी व्यवस्था ना किए जाने के कारण यात्रियों को इस असुविधा से गुजरना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी उन यात्रियों को होती है, जिन्हें चलने-फिरने में दिक्कत है।

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