इंदौर न्यूज़ (Indore News)

INDORE : कई निर्माण कार्य अधूरे, तत्काल छूट नहीं मिली तो जलजमाव का खतरा

 


बहुत सी मुश्किलेें हैं रियल एस्टेट के साथ…मजदूरों का भी पलायन… सरिया-रेती भी समस्या…
इन्दौर।  1 जून के बाद प्रस्तावित अनलॉक (unlock) एक के तहत अधूरे पड़े निर्माण कार्यों को शर्तों पर छूट तो दी जाएगी, लेकिन यदि छूट तत्काल नहीं दी गई तो 1 जून के बाद वर्षा की आशंका के चलते कई निर्माण कार्य ऐसे हैं, जिनमें जल जमाव का संकट पैदा हो सकता है। इसीलिए सरकार और प्रशासन ऐसे अधूरे निर्माण कार्यों (construction works) को पूरा करने के लिए कुछ शर्तों के साथ छूट तो देगा, लेकिन वह तत्काल होना चाहिए। निर्माण कार्य शुरू करने के लिए मुख्य शर्त यह हो सकती है कि साइट पर ही रहने वाले मजदूरों द्वारा निर्माण कार्य करवाया जाए। ऐसे में गांव गए मजदूरों के रोजगारों का संकट हल होगा, वहीं ठेकेदारों को भी काम मिल सकेगा और निर्माण कार्य से जुड़े व्यवसायों को भी राहत मिलेगी।
पिछली 8 अप्रैल को अग्निबाण द्वारा 8 से 10 दिन के लॉकडाउन (Lockdown) का समाचार प्रकाशित कर भविष्य के संकेत दे दिए थे। उक्त समाचार प्रकाशन के बाद पिछले साल लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान तमाम तरह की यातना झेल चुके मजदूरों ने अपने गांव की ओर पलायन करना शुरू कर दिया था। प्रशासन द्वारा 10-12 अप्रैल के शनिवार-रविवार के लॉकडाउन के बाद जब एक सप्ताह का लॉकडाउन घोषित किया गया तो मजदूर अभी जाएंगे और हालत देखकर वापस आएंगे की सोच के साथ अपने-अपने गांव लौट गए थे। इस कारण शहर के निर्माण कार्य जैसा का जैसा छूट गए थे। इनमें से कई निर्माण कार्य ऐसे हैं, जिनमें वर्षाकाल के दौरान जल जमाव की स्थिति जहां बन सकती है, वहीं अंतिम पायदान पर पहुंच चुके निर्माण कार्यों में फिनिशिंग का नुकसान हो सकता है। ऐसे में प्रशासन अधूरे निर्माण कार्य पूरे करने के लिए कुछ शर्तों पर निर्माण शुरू करने की छूट दे सकता है।


आंध्रप्रदेश में गरीबों के आवास निर्माण का कार्य एक दिन भी नहीं रुका
आंद्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी (Jaganmohan Reddy) ने कोरोना काल में भी कोविड गाइड लाइन (Kovid guide line) का पालन कराते हुए गरीबों के आवास निर्माण कार्य चलने दिया। प्रदेश में 28.30 लाख आवास निर्माण जून माह तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था और मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि उक्त अवधि में ही निर्माण पूरे कराए जाएं, ताकि गरीबों को समय पर आवास तो मिले ही, मजदूरों का पलायन भी नहीं हो। इसके लिए निर्माण स्थल पर ही मजदूरों के आवास की व्यवस्था उन्हीं मकानों में कराई गई, जिनके निर्माण चल रहे थे। साथ ही निर्माण स्थल पर एक कोविड केयर हास्पिटल भी खुलवा दिया गया।
स्टील प्लांटों की ऑक्सीजन अस्पतालों को देने से सरिए का उत्पादन बंद
यदि निर्माण कार्य की अनुमति दे दी जाए तो अधूरे निर्माण कार्य पूरे करने के लिए सबसे बड़ा संकट स्टील का होगा। चूंकि केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों ने स्टील प्लांटों के निर्माण में लगने वाली ऑक्सीजन अस्पतालों को देने के निर्देश देते हुए छोटे-छोटे स्टील प्लांटों की आक्सीजन सप्लाई जहां रोक दी, वहीं बड़े-बड़े स्टील प्लांटों के खुद के आक्सीजन प्लांटों से भी ऑक्सीजन लेकर अस्पतलों को मुहैया करवाई। ऐसे में स्टील का उत्पादन ठप रहा। अब ऑक्सीजन की मांग घटने के कारण कुछ प्लांट शुरू हो सकेंगे, लेकिन मांग और पूर्ति में बड़ा अन्तर रहने के कारण स्टील के दाम बढ़ सकते हैं।
बारिश शुरू होते ही रेत खनन पर रोक लगने से दाम बढ़ेंगे
निर्माण कार्यों (construction works) के लिए रेत बेहद ही अहम किरदार निभाती है। कोरोना काल के पहले ही रेत के दाम आसमान छू रहे थे और 40 हजार की गाड़ी 60-65 हजार तक में मिल रही थी, लेकिन कोरोना काल शुरू होते ही व्यापारियों के पास रेत का ढेर लग गया है। कोरोना काल में भी लोगों ने खनन जारी रखते हुए रेत के पहाड़ खड़े कर लिए हैं, जो बारिश शुरू होने के पहले तक तो आसानी से उपलब्ध हो सकेगी, लेकिन जब मांग बढ़ जाएगी तब वर्षाकाल शुरू होने से रेत खनन पर रोक लग जाएगी। ऐसे में रेत के दाम भी बढऩे की आंशका है और उपलब्धता पर भी संकट खड़ा हो सकता है। इसलिए छूट मिलते ही बिल्डरों को रेत का स्टाक कर लेना चाहिए।

यह शर्तें हो सकती हैं…
1. निर्माण कार्य (construction work) शुरू करने के लिए यह प्रमुख शर्त हो सकती है कि निर्माण स्थल की साइट पर रहने वाले मजदूरों से काम लिया जा सकेगा।
2. सीमित संख्या में मजदूरों को साइट पर बुलाया जा सकेगा।
3. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मजदूरों को मास्क लगाना अनिवार्य होगा।
4. प्रशासन काम के घंटे भी निर्धारित कर सकता है।
5. शहर में कई निजी और सरकारी निर्माण कार्य अधूरे पड़े है।

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