नई दिल्ली (New Delhi)। कांग्रेस ने उन लोगों पर निशाना साधा जो जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के ‘‘योगदान को हजम नहीं कर पा रहे हैं’’ जिनके कारण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (‘ISRO’) की स्थापना हो सकी। कांग्रेस ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे।
बता दें कि भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही इसरो ने दुनिया को अपना लोहा मनवाया है। जहां पूरा विश्व भारत की इस सफलता पर बधाई दे रहा है वहीं, देश के भीतर इस मिशन के श्रेय को लेकर राजनीति लगातार जारी है।
कांग्रेस ने रविवार को एक बार फिर बिना नाम लिए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा एक वीडियो साझा किया है। साथ ही यह भी लिखा है कि जो लोग इसरो की स्थापना के लिए जवाहरलाल नेहरू के योगदान को पचा नहीं पा रहे वह ये भाषण सुनें।
नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। ISRO के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो TIFR के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें।
वह बादलों से रडार को बचाने वाले विज्ञान के ज्ञाता की तरह सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे बल्कि बड़े-बड़े फ़ैसले लेते थे। pic.twitter.com/phCzbEZ6fo
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 27, 2023
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में कहा कि पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। इसरो के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो टीआईएफआर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें। कांग्रेस नेता ने यह भी लिखा कि वह रडार से सुरक्षा प्रदान करने वाले ‘बादलों के विज्ञान’ के बारे में ज्ञान की सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, बल्कि बड़े-बड़े फैसले भी लेते थे।
इससे पहले, जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा था कि इसरो की सफलता के पीछे की जिस मुख्य वजह को नहीं पहचाना जा रहा है, वह यह है कि नेहरू ने पहले दिन से ही आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, जबकि दिल्ली में कुछ आवाजें अधिक अमेरिकी भागीदारी की वकालत कर रही थीं। कुछ ऐसे भी लोग थे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ सहयोग की बात कर रहे थे। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके लिए वे होमी भाभा, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, पीएन हक्सर और कई अन्य लोगों से निश्चित रूप से सलाह लेते थे और वे उनसे प्रभावित थे।
गौरतलब है कि जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस के अन्य प्रधानमंत्रियों का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच वाक युद्ध चल रहा है। विपक्षी दल जहां अपने नेताओं के प्रयासों का जिक्र कर रहे हैं वहीं सत्तारूढ़ दल का दावा है कि 2014 के बाद से अंतरिक्ष के क्षेत्र में तेजी से काम हुआ है।
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