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ISRO का Aditya L-1 तैयार! जानें सूरज पर क्या खोजने जा रहा अंतरिक्ष यान..

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत के पहले सौर मिशन (solar mission) की लॉन्चिंग की सारी तैयारियां हो चुकी हैं! आगामी 2 सितंबर को ISRO का भरोसेमंद रॉकेट PSLV-C57, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से Aditya-L1 को लेकर उड़ान भरने को तैयार है!

आपको बता दें कि चंद्रयान-3 के लांच के 50वें दिन देश के सबसे बड़े और अलग मिशन ‘आदित्य एल-1’ (Aditya L-1) के लांच को लेकर कई चर्चाएं हैं। एक चर्चा यह भी है कि इसरो आखिरकार इतने कम समय में दूसरा बड़ा मिशन लांच करने को क्यों तैयार है।



दरअसल, इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि सूर्य का खराब मौसम है जो कि अगले कुछ महीनों में और ज्यादा खराब होने वाला है। माना जा रहा है कि इस दौरान पहुंचा आदित्य एल-1 सबसे सटीक डेटा भेज सकेगा।

बीएचयू BHU के भौतिक विज्ञान विभाग के डॉ. कुंवर अलकेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में अंतरिक्ष का मौसम खराब श्रेणी में रखा गया है। आने वाले कुछ महीनों में उथल-पुथल बढ़ेगी। सौर विस्फोटों और रेडिएशन में और ज्यादा बढ़ोतरी होगी। आईआईटी बीएचयू के डॉ. विद्या विनय कारक भी बताते हैं कि जनवरी से लेकर अगले कुछ महीने सूर्य पर बड़ी घटनाएं होने वाली हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इन घटनाक्रमों को बेहतर ढंग से रिकॉर्ड कर पाने के लिए आदित्य एल-1 की लांचिंग की जा रही है। आदित्य के साथ जा रहे सात विभिन्न पेलोड (उपकरण) सूर्य से निकलने वाले विकिरण, गामा-एक्सरे और यूवी तरंगों, प्लाज्मा विस्फोट सहित अन्य घटनाओं को रिकॉर्ड करेंगे और इसके बेहतर और सटीक आंकड़े भेजेंगे। देश के विभिन्न संस्थानों में बैठे विशेषज्ञों को इसरो यह आंकड़े भेजेगा और इनका बेहतर एनालिसिस हो सकेगा।



क्या है सोलर मैक्सिमम
अध्ययनों के मुताबिक, हर 11 साल में सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव आपस में स्थान बदल लेते हैं। इस दौरान सूर्य के विभिन्न हिस्से में मैगनेटिक फील्ड बनना शुरू होते हैं डार्क स्पॉट्स में बढ़ोतरी होती है। इस उथल-पुथल के कारण सूर्य पर आम दिनों से ज्यादा प्लाज्मा विस्फोट, मैगनेटिक फील्ड शिफ्ट और रेडिएशन हैं। सूर्य के कुछ हिस्सों से बड़ी-बड़ी फ्लेयर (ज्वालाएं) भी उठती हैं। सूर्य के मौसम की इस चरम स्थिति को ‘सोलर मैक्सिमम’ के नाम से जाना जाता है।

खुद भी डेटा एनालिसिस करेगा आदित्य
आदित्य एल-1 के साथ सात पेलोड और सुरक्षा उपकरण के साथ एआई तकनीक से लैस कुछ उपकरण भी भेजे जा रहे हैं। सात पेलोड से 24 घंटे मिलने वाले डेटा को आदित्य एल-1 एआई की मदद से खुद एनालाइज करेगा। इसके बाद जरूरी डेटा को वह इसरो को ट्रांसमिट करेगा। इस प्रक्रिया से वैज्ञानिक सटीक डेटा का तेज गति से एनालिसिस कर सकेंगे।

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