भोपाल। मई के महीने में मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) को जितनी संख्या में वैक्सीन डोज़(Corona Doses) दिए जाने का वादा किया गया था, उससे आधे भी नहीं मिल सके, तो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Jabalpur High Court)ने इस बारे में केंद्र सरकार (Central Government) से पूछा : ‘राज्यों में ज़्यादा से ज़्यादा यूनिटें लगाकर लोकल स्तर पर ज़रूरी लाइसेंस देकर क्यों वैक्सीन उत्पादन(Vaccine Produsction) बढ़ाया नहीं जा रहा? क्यों राज्य को ज़रूरत के मुताबिक वैक्सीन डोज़ (Vaccine Doses) मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी केंद्र नहीं ले रहा?’ सिर्फ इतना ही नहीं, हाई कोर्ट (High Court) ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए केंद्र सरकार(Central Government) को टीकाकरण पॉलिसी(Vaccination Policy) पर फिर विचार करने को भी कहा.
चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक (Chief Justice Mohammad Rafiq) और जस्टिस अतुल श्रीधरन(Justice Atul Sreedharan) की बेंच ने यह भी कहा कि देश के बाहर से वैक्सीन जुटाने की इजाज़त राज्यों को देने के बजाय खुद केंद्र को यह बीड़ा उठाने के बारे में सोचना चाहिए. यही नहीं, कोर्ट ने राज्यों के ग्लोबल टेंडरों की प्रैक्टिस को लेकर भी चिंता ज़ाहिर की.
मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था चूंकि लोकल निर्माता वैक्सीन डोज़ सप्लाई नहीं सके इसलिए ग्लोबल टेंडर जारी कर 1 करोड़ वैक्सीन डोज़ जुटाने की कोशिश की गई. इस पर वकील सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि करीब 7.3 करोड़ की वयस्क आबादी के लिए इतने डोज़ काफी नहीं होंगे. वहीं, न्याय मित्र नमन नागरथ ने भी कहा कि कई राज्यों ने इस तरह के ग्लोबल टेंडर जारी किए लेकिन पॉज़िटिव नतीजे नहीं मिले. इस बात को दोहराते हुए कोर्ट ने कहा : ‘पॉज़िटिव संकेत न मिलने के बाद इस बात को लेकर चिंताजनक अंदेशे पैदा हो गए हैं कि इस तरह की प्रैक्टिस के चलते आने वाले महीनों में राज्य के पास ज़रूरत के मुताबिक पर्याप्त डोज़ आखिर कैसे होंगे!’
कोर्ट ने यह चिंता भी जताई कि वैक्सीन शॉर्टेज के इन हालात में जनवरी 2022 तक देश भर को टीका दिए जाने का लक्ष्य कैसे हासिल किया जा सकेगा. कोर्ट ने कहा ‘हमारी राय में, केंद्र सरकार को अपनी वैक्सीनेशन नीति के प्रभाव को लेकर दोबारा विचार करना चाहिए… देश के इतिहास में अब तक जितने भी व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम चले हैं, वो सब केंद्र सरकार द्वारा ही प्रायोजित किए जाते रहे हैं.’ Share: