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जनवरी में पृथ्वी की धुरी का झुकाव कैसे बनाता है छोटे और ठंडे दिन

नई दिल्ली। पृथ्वी (Earth) पर मौसमों के बदलाव (change of seasons) में बहुत सारे कारक काम करते हैं इनमें से कई कारकों पृथ्वी के अक्ष (Axis) से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. अक्ष के कारण ध्रुवों पर सर्दी गर्मी मौसम अलग तरह के होते हैं तो वहीं साल भर भूमध्यरेखा पर मौसम अमूमन एक सा ही रहता है. लेकिन उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere) में जनवरी के मौसम में ही भीषण ठंड पड़ने की वजह अक्ष के साथ पृथ्वी की सूर्य से बदलती दूरी और उत्तरी गोलार्द्ध में ज्यादा जमीन के होने जैसे कारक भी काम करते हैं।

इस साल भारत सहित दुनिया के कई इलाकों ने सर्दी (Winter) ने अभूतपूर्व प्रभाव दिखाया है. भूमध्य रेखा के ऊपर या उत्तर में सर्दी का मौसम सामान्यतया दिसंबर में शुरू होना माना जाता है. लेकिन बहुत से इलाकों में ठंड असल में जनवरी (January) में ही शुरू होता है. जनवरी में ठंड का मौसम क्यों और कैसे आता है इसके पीछे पृथ्वी और सूर्य (Sun) के साथ संबंध के अलावा पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव भी बड़ा कारण है. जिससे पृथ्वी के दैनिक प्रकाश से लेकर तापमान तक प्रभावित हो जाते हैं. अमेरिकी वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को समझाया है।


पृथ्वी (Earth) सूर्य (Sun) का चक्कर लगाने के साथ-साथ अपनी धुरी (Axis) पर भी घूमती है. इसे समझाते हुए कन्वरेशेसन में प्रकाशित लेख में अमेरिकी विशेषज्ञ डायना हेंस बताती है, “इसे ऐसे समझें कि मान लीजिए कि आप घूमती हुई पृथ्वी पर एक छड़ी से उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव तक छेद कर आरपार कर देते हैं. अपने इस अक्ष पर पृथ्वी को एक चक्कर लगाने में 24 घंटे लगते हैं. इस दौरान हर एक हिस्सा कभी सूर्य के सामने की ओर से होता है दूसरी तरफ चला जाता है जिसस सूर्य से आने वाली रोशनी बदलती है और तापमान भी बदलता है।

अब इसमें कई तरह के कारक अपना अपना योगदान देते हुए असर डालते हैं. पृथ्वी (Earth) सटीक गोलाकार नहीं है. उसका अक्ष (Axis) पृथ्वी सूर्य के तल की तुलना में 23.5 डिग्री झुका हुआ है. इसकी वजह से से भूमध्य रेखा (Equator) पर तो पृथ्वी की किरणें सीधी पड़ती है. लेकिन ध्रुवों पर तिरछी पड़ती हैं. लेकिन इतना ही नहीं एक ध्रुव दूसरे के तुलना में सूर्य की तरफ ज्यादा हो जाता है और सूर्य की ओर ध्रुव वाले गोलार्द्ध को सूर्य की रोशनी ज्यादा मिलती है. और उस हिस्से में वह समय गर्मीका मौसम होता है. वहीं जो ध्रुवा सूर्य से दूर झुकता है, पृथ्वी के उस गोलार्द्ध को कम रोशनी मिलती है वहां सर्दी का मौसम होता है।

ध्रुवों (Poles) पर गर्मियों में 24 घंटे दिन रहता है सर्दियों में कभी सूर्योदय ही नहीं होता. वहीं भूमध्य रेखा Equator) के पास साल भर दिन की लंबाई या तापमान में बदलाव देखने को नहीं मिलता है. इसी तरह उष्णकटिबंधीय इलाकों और उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों के लोगों के मौसम (Weather) के बारे में अलग अलग विचार होते हैं. किसी जगह का मौसम इस पर ज्यादा निर्भर होता है कि वह क्षेत्र सूर्य का प्रकाशकितना अवशोषित कर पा रहा है और कितनी कितनी ऊर्जा उत्सर्जित कर पा रहा है. इसी से तय होता है कि सतह कितनी गर्म या ठंडी रहेगी. इसके अलावा पानी के मुकाबले धरती जल्दी ठंडी गर्म होती है इसलिए तटीय इलाकों की तुलना में अंदरूनी महाद्वीपों में मौसम में काफी अंतर मिलता है।

सर्दियों (Winter) के मौसम उत्तर की ओर जाने पर सूर्य की रोशनी (Sunlight) और ज्यादा तिरछी होती चली जाती है. इससे ऊष्मा उत्सर्जित (Heat Emission) करने की तुलना में सूर्य प्रकाश कम मिलता है जिससे ठंड ज्यादा पड़ती है. ऐसा जमीनी इलाकों में ज्यादा होता है. इसीलिए इस मौसम में उत्तर के पहाड़ी इलाकों से ठंडी हवा मैदानी इलाकों फैल कर उन्हें भी ठंडा करती है. लेकिन पानी से आती हवाएं सम तापमान की होती हैं. इसीलिए तटीय शहरों में उतनी ठंडक नहीं होती।

दिन का प्रकाश ध्रुवों (Poles) के पास इलाकों में ज्यादा तेजी से बदलता है. भारत (Inida) में ऐसा हिमालय में होता है जो उत्तरी ध्रुव के ज्यादा पास हैं. सर्दी के मौसम में सूर्य की रोशनी कम समय पर उपलब्ध होती है. वहीं पृथ्वी (Earth) के दूसरे हिस्से में इस समय गर्मी का मौसम होता है क्योंकि उसका दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य अस्त नहीं होता. जनवरी में जहां भारत ठंड से ठिठुर रहा है .ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना जैसे देश भीषण गर्मी से झुलस रहे हैं।

एक और कारक यह भी है कि पृथ्वी (Earth) की सूर्य (Sun) से दूरी हमेशा समान नहीं होती. जनवरी के मौसम में पृथ्वी सूर्य से सबसे ज्यादा दूर होती है जिससे जनवरी ज्यादा ठंडी होती है. फिर भी एक बड़ा अंतर और है. जहां दक्षिणी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere) के हिस्से में उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में जमीन बहुत कम है और पानी ज्यादा है. यही वजह है कि दक्षिणी गोलार्द्ध में मौसम और तापमान चरम पर कम दिखाई देते हैं. इसीलिए वहां ज्यादा भीषण गर्मी या ज्यादा तेज ठंड नहीं पड़ती है. जिससे लेकिन जनवरी में उत्तरी गोलार्द्ध में ऐसी ठंड पड़ती है जो दक्षिण में भी देखने को नहीं मिलती है. इसके अलावा स्थानीय जलवायु भी मौसम में स्थानीय स्तर पर भिन्नता ला देती है।

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