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जमीन बचाने 35 सालों से अतीक से लड़ रही थी जयश्री, 7 हमले झेले, मिल चुकी हैं कई धमकियां

प्रयागराज (Prayagraj) । यूपी (UP) में लंबे समय तक अतीक और अपराध पर्यायवाची रहे. पुलिस (Police) के पास जाकर शिकायत करने की बात तो दूर लोग अपनों से भी अपना दर्द बयां नहीं कर पाते थे. इसकी वजह थी अतीक (Atique) का आतंक. इन सबके बीच कुछ लोगों ने अतीक के जुल्मों के खिलाफ आवाज बुलंद की. उसी का परिणाम है कि आज अतीक के आतंक का साम्राज्य खात्मे की कगार पर है. उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों में एक नाम है जयश्री (Jayshree) उर्फ सूरजकली (Surajkali) का, जो अपनी जमीन बचाने के लिए तीन दशक से अतीक के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.

यूपी के प्रयागराज में धूमनगंज इलाके के झलवा में रहने वाली जयश्री उर्फ सूरजकली के पति स्व. बृज मोहन कुशवाहा की 12 बीघा से अधिक जमीन थी. इस पर खेती होती थी. कुछ जमीन झलवा और चक निरातुल में भी थी. कुछ बची जमीन पर आम, अमरूद के पेड़ लगे थे.

‘अतीक के अब्बू किसानों के बुलावे पर ट्रैक्टर भेजते थे’
सूरजकली कहती हैं, “अतीक के अब्बू फिरोज लाल रंग के ट्रैक्टर से किसानों के बुलावे पर जोताई के लिए अपना ट्रैक्टर भेजा करते थे. उसी लाल ट्रैक्टर से हम लोग भी खेत की जोताई कराते थे. मगर, हमारी जमीन देखकर अतीक अहमद का लालच बढ़ गया. इसी बीच लेखपाल मानिकचंद श्रीवास्तव, जो अतीक अहमद का खास था, उसने शिवकोटी सहकारी आवास समिति के नाम पर जमीन दर्ज होने की बात कही.”


“मैं अनपढ़ थी इसलिए उसकी चाल समझ नहीं पाई. इस सबके बीच अचानक 1989 में पति गायब हो गए. उसके बाद पता चला कि पूरी जमीन का बैनामा हो गया है. मैंने विरोध किया और गांव वालों के सहयोग से आपत्ति दाखिल की तो पता चला कि जमीन हड़पने का पूरा खेल अतीक अहमद का था.”

सूरजकली कहती हैं कि उनकी जमीन को हड़पने के लिए कई बार बाहुबली अतीक ने अपने कार्यालय बुलाया. उस समय वो विधायक थे. पहली बार जब अतीक अहमद ने हमें बुलाया तो कहा, तुम्हारा पति हमारा बहुत खास था, अब नहीं रहा. इसलिए तुम लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी अब हमारी है. जो जमीन है, वो हमको दे दो और चुपचाप घर में रहो.

‘मैंने इस बात का विरोध किया तो अतीक गुस्सा हो गया’
महिला ने कहा, “मैंने इस बात का विरोध किया तो अतीक गुस्सा हो गया. धमकी देते हुए कहा कि जिस तरह तुम्हारे पति गायब हो गए, उसी तरह तुम्हें भी गायब कर देंगे, अब चुपचाप चली जाओ. इतना ही नहीं, उसके गुर्गे अक्सर धमकी देते रहे. लेकिन मैं डरी नहीं और अपने केस की पैरवी करती रही. साल 1989 से 2015 के बीच मेरे घर में घुसकर कई बार मारा पीटा गया. इतना ही नहीं, डराने और धमकाने की कोशिश भी की गई.”

उनकी दर्दभरी दास्तां यहीं खत्म नहीं होती है. महिला ने आगे कहा, मेरे भाई प्रहलाद कुशवाहा की करंट लगने से मौत हुई. उसमें भी अतीक का हाथ था. इन 35 सालों से वो अपनी अरबों की पुश्तैनी जमीन को बचाने के लिए लड़ रही है. साल 2016 में घर के सामने बेटे और परिवार पर हमला किया गया. इसमें बेटे को एक गोली भी लगी. हॉस्पिटल में इलाज के दौरान भी अतीक अहमद धमकी देता था. उस वजह से वहां से भागना पड़ा.

महिला ने कहा, “मैं कई सालों से कचहरी, तहसील और थाने में प्रार्थना पत्र लेकर जाती थी, लेकिन कोई सुनवाई होती नहीं थी. कोई भी अधिकारी अतीक के नाम पर सुनना नहीं चाहता था. 30 सालों में 7 बार हमला हुआ, सैकड़ों बार धमकियां दी गईं लेकिन मैं टूटी नहीं और अतीक से आज भी लड़ रही हूं.”

निजाम बदला तो शुरू हुआ कार्रवाई का सिलसिला
साल 1991 में पहली बार अतीक के सूरजकली खिलाफ एफआईआर करवाने में सफल रहीं. मगर, आरोप निराधार बताते हुए साल 2001 में मामले को बंद कर दिया गया. फिर 2007 में बीएसपी की गवर्नमेंट बनी तो अतीक पर कार्रवाई का सिलसिला शुरू हुआ. एफआईआर भी दर्ज की गई और ऐसा कहा जाता है कि लखनऊ में इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई.

हालांकि, काफी प्रयास के बाद सीलिंग एक्ट से अनुमति नहीं मिलने के कारण शिवकोटी सहकारी आवास समिति के नामांतरण को निरस्त कर दिया गया. इसमें पहली बार सूरजकली की जीत हुई. सरकारी अभिलेखों में जमीन उनके नाम दर्ज हुई. इसी मामले में साल 2005 में जांच बढ़ी तो तहसीलदार का फर्जीवाड़ा सामने आया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

धमकी के बाद भी नहीं मिला असलहा का लाइसेंस
पिछले कई सालों में 7 बार हमले हुए और धमकियां मिलीं. इसको देखते हुए सूरजकली ने जिला प्रशासन से बंदूक मुहैया कराने के लिए अपील की. मगर, असलहा नहीं मिला. सूरजकली की अरबों की संपत्ति थी जिसे अतीक ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर औने-पौने दामों पर बेच दिया. तकरीबन 200 लोगों को उनकी जमीन पर बसा दिया.

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