नई दिल्ली। ग्राउंडेड एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज (Jet Airways) के कर्मचारियों ने गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) में याचिका दायर कर कार्लरॉक-जालान के रिजॉल्यूशन प्लान (karlrock-jalan’s resolution plan) की स्वीकृति खारिज करने की मांग की है. इन कर्मचारियों ने याचिका में बकाया वेतन जैसे मुद्दों पर चिंता जताई है।
नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने 22 जून को कार्लरॉक-जालान के रिजॉल्यूशन प्लान को स्वीकृति दी थी. इसके साथ ही एनसीएलटी ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन और सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को जेट एयरवेज के लिए स्लॉच आवंटित करने के लिए 90 दिनों की अवधि तय की थी।
2019 में बंद हुआ था जेट एयरवेज का कामकाज
गौरतलब है कि भारी घाटे और कर्ज के कारण जेट एयरवेज अप्रैल 2019 में बंद हो गई थी. उस समय कंपनी के प्रमोटर नरेश गोयल को 500 करोड़ रुपये की जरूरत थी, लेकिन वे इसे जुटा नहीं पाए. हालत यह हो गई कि कर्मचारियों की सैलरी और अन्य खर्च भी नहीं निकल पा रहे थे. जेट एयरवेज बंद होने के बाद इसके करीब 17 हजार कर्मचारी सड़क पर आ गए थे।
एयरलाइन के खिलाफ शुरू हुई थी इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग
इसके बाद जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंकों के कंसोर्टियम ने नरेश गोयल को कंपनी के बोर्ड से हटा दिया था. एयरलाइन के खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग शुरू हुई थी. कई दौर की बिडिंग के बाद कार्लरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जालान को सफल बिडर चुना गया था. इससे जेट एयरवेज के दोबारा शुरू होने की संभावना बनी है।