इंदौर न्यूज़ (Indore News) क्राइम

जीतू ठाकुर हत्याकांड: आज फैसला, 93 में से 70 गवाह मुकरे

  • अहम गवाहों के बयान पर टिका फैसला….
  • केवल 23 गवाह पुलिस के पक्ष में रहे… पुलिस वाले तक पलटे

इंदौर। महू उपजेल (Mhow Upjail) में करीब 14 साल पहले हुए जेल में घुसकर जीतू ठाकुर को मारने के मामले में आज फैसले की बारी है। मामले में कई पुलिस वाले तक होस्टाइल (hostile) हो चुके हैं, जबकि सरकार उन्हीं व अन्य गवाहों से अपनी कहानी साबित करना चाहती है। ऐसे में अहम गवाहों (witnesses) के बयानों पर ही फैसला टिका हुआ है। प्रकरण के अनुसार 26 जून 2007 को मृतक विष्णु उस्ताद के पुत्र युवराज (Yuvraj) ने अपने साथियों के साथ भेष बदलकर महू की उपजेल में प्रवेश किया और जेल में जीतू (Jitu) की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

इस दौरान की गई फायरिंग (firing) में हेड कांस्टेबल बद्रीनारायण शर्मा (Head Constable Badrinarayan Sharma) के अलावा कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। पुलिस ने युवराज, अशोक मराठा, बबलू, विनोद व विजय को मुल्जिम बनाया। मामले में लगभग 114 गवाहों के बयान होना थे, किंतु अभियोजन ने 93 गवाहों के ही बयान कराए, जिनमें से 70 गवाह होस्टाइल होकर पुलिस को दिए बयान से मुकर चुके हैं, जबकि 23 गवाहों ने पुलिसिया कहानी का समर्थन किया है। आखिरी बहस पूरी होने के बाद आज जज धर्मेंद्र सोनी की कोर्ट मामले में फैसला सुनाएगी।


चश्मदीद तो चश्मदीद… जब्ती के गवाह तक पलटे
खास बात यह है कि इस हत्याकांड में सुनवाई (trial in murder) के दौरान कई चश्मदीद गवाह (eyewitness account) तो कोर्ट में जाकर पलटे ही, वे गवाह भी पलट गए जो जब्ती या पंचनामा संबंधी थे। मसलन एक जेल प्रहरी छोटेलाल ने पुलिस को दिए बयान से पलटते हुए साफ कहा था कि उसके सामने पुलिस ने कोई जब्ती नहीं की थी। उसके पहले भी दर्जनों पुलिस वाले तक ही पलट चुके हैं, जो पुलिसिया कहानी को ही झूठा साबित करने में लगे थे। कई लोकसेवक तो सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद वारंट निकलने के बाद गवाही देने आए थे। बचाव पक्ष ने होस्टाइल गवाहों को ही बचाव का हथियार बनाया है, जबकि अभियोजन की ओर से एजीपी गजराजसिंह सोलंकी (AGP Gajraj Singh Solanki) ने इन गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन में आए तथ्यों से पुलिसिया कहानी को सही साबित करने की कोशिश की है। मामले में 23 गवाहों ने अभियोजन की कहानी के अनुरूप बयान भी दिए हैं।

पहली बार जेल में हुआ था किसी गैंगस्टर का कत्ल
मजदूर नेता विष्णु उस्ताद (Labor leader Vishnu Ustad) की हत्या में जीतू ठाकुर मुलजिम रहा था। वह भी गैंगस्टर था। इंदौर के इतिहास में पहली बार जेल में किसी गैंगस्टर का कत्ल हुआ था।

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