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पत्रकार ने तीन मंजिला इमारत को बना दिया ‘सब्जी घर’, वर्टिकल गार्डन से कमाए 70 लाख रुपये

नई दिल्‍ली । बढ़ते प्रदूषण और बीमारियों के दौर में अब लोग अपनी सेहत के प्रति सतर्क होते जा रहे हैं. अब घर-घर में ऑर्गेनिक फल-सब्जियों (fruits and vegetables) का सेवन हो रहा है. बाजार में भी ऑर्गेनिक फूड प्रॉडक्ट्स (organic food products) की डिमांड बढ़ती जा रही है. ग्राहक बी अब ऑर्गेनिक फल-सब्जी, अनाजों के मुंह मागे दाम देने के लिए तैयार हैं. यही वजह है कि ऑर्गेनिक फार्मिंग (organic farming) अब कमाई का साधन बनती जा रही है. जैविक खेती में अब किसान ही नहीं, बल्कि शहर के लोग भी खूब दिलचस्पी ले रहे हैं. अब ताजा खान-पान के लिए घर-घर गार्डनिंग (Gardening) हो रही है. शहर के कई लोगों ने आज गार्डनिंग को कमाई का जरिया बना लिया है. खासकर नौकरी-पेशा वाले लोग इस तरह की खेती से जुड़कर काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं.


ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है उत्तर प्रदेश के बरेली से, जहां एक पत्रकार ने नौकरी छोड़कर ऑर्गेनिक फार्मिंग को तवज्जो दी है. पूर्व पत्रकार रामवीर सिंह के पास खुद का खेत नहीं था तो अपने तीन मंजिला घर को ही वर्टिकल फार्म में तब्दील कर दिया. आज उनके घर की वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. रिपोर्ट्स की मानें तो खेती की इस नई तकनीक में इनवेस्ट करके रामवीर सिंह अब तक 70 लाख रुपये कमा चुके हैं, हालांकि नौकरी छोड़कर इस तरह खेती करना भी रामवीर सिंह के लिए आसान नहीं था. तभी तो आज उनके प्रयासों की देशभर में खूब तारीफ हो रही है. आइये जानते हैं पत्रकार से मॉर्डन फार्मर बने रामवीर सिंह की सफलता की कहानी.

ये है फार्मिंग का कारण
वैसे तो रामवीर सिंह पेशे से जर्नलिस्ट हैं, लेकिन कुछ समय पहले ही उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर खेती करने का मन बनाया. दरअसल बरेली के रहने वाले रामवीर सिंह के किसी दोस्त के अंकल को कैंसर की बीमारी हो गई. कारण जानने पर पता चला कि ये कैमिकल वाली जहरीली सब्जियां खाने से हुआ है. फिर क्या रामवीर सिंह को भी अपने परिवार की सेहत को लेकर चिंता होने लगी और खुद परिवार की सुरक्षा का जिम्मा उठाते हुये खेती करने का मन बनाया. रामवीर अपने पैतृक घर बरेली वापस आ गये और हाइड्रोपॉनिक खेती शुरू कर दी.

बनाई खुद की हाइड्रोपॉनिक कंपनी
कभी जर्नलिस्ट रहे रामवीर सिंह ने अभी तक अपने वर्टिकल गार्डन से 70 लाख रुपये कमा लिए है. इसी के साथ खुद की कंपनी विंपा ऑर्गेनिक और हाइड्रोपॉनिक भी बनाई है. वैसे तो ये वर्टिकल गार्डनिंग कई दिनों से चल रही है, लेकिन ये सुर्खियों में तब आई, जब United Nations Environment Program के पूर्व कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हीम ने अपने ट्विटर पर रामवीर सिंह के वर्टिकल गार्डन बने तीन मंजिला घर की वीडियो शेयर की है. आज रामवीर सिंह खुद तो आधुनिक खेती कर ही रहे हैं, साथ ही दूसरे लोगों को हाइड्रोपॉनिक तकनीक से जैविक खेती की ट्रेनिंग भी देते हैं.

कोरोना काल में किया आगाज
साल 2020, कोरोना महामारी के दौर में कई लोगों की नौकरियां चली गईं. इस बीच रामवीर सिंह ने भी जर्नलिस्ट की नौकरी छोड़कर ऑर्गेनिक फार्मिंग का मन बनाया. इस तकनीक की जानकारी दुबाई ट्रिप के दौरान मिली. हाइड्रोपॉनिक खेती को देखा और समझा तो पता चला कि इस तकनीक से सब्जियां-फल उगाने के लिए मिट्टी की कोई जरूरत नहीं होती और कीट-रोगों का भी खतरा नहीं रहता. पूरी तरह से पानी पर आधारित ये तकनीक साधारण खेती की तुलना में करीब 80 फीसदी तक पानी बचाती है.

वर्टिकल गार्डन में उगाईं ये सब्जियां
बरेली के रामवीर सिंह ने अपने घर पर बिना मिट्टी और बिना कैमिकल के ही ऑर्गेनिक फार्मिंग करते हैं. उन्होंने वर्टिकल गार्डन बनाया है, जो हाइड्रोपॉनिक तकनीक पर आधारित है. इस गार्डन में सारा काम पानी से ही होता है. फिलाहल रामवीर सिंह ने अपने तीन मंजिला घर को पूरी तरह से एक हरे-भरे खेत में तब्दील कर दिया है, यहां स्ट्रॉबेरी जैसे विदेशी फलों के साथ फूलगोभी, बिंडी, करेला, लौकी जैसी तमाम सब्जियां उगाई जा रही है. आज रामवीर सिंह के तीन मंजिला घर में 10,000 से ज्यादाय सब्जियों के पौधों हैं, जिनसे फुली ऑर्गेनिंक प्रॉडक्शन मिल रहा है.

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