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जस्टिस गंगोपाध्याय ने किया इस्तीफा देने का ऐलान, राजनीति में आने की इच्छा जताई

नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस गंगोपाध्याय (Justice Gangopadhyay of Calcutta High Court) इस्तीफा देने का ऐलान किया है. उन्होंने रविवार को मीडिया से कहा कि वह मंगलवार को जज पद से इस्तीफा (resignation from the post of judge) दे देंगे. जस्टिस गंगोपाध्याय ने राजनीति में आने की इच्छा जताई (Gangopadhyay expressed his desire to enter politics). उन्होंने भर्ती भ्रष्टाचार के मामलों में एक के बाद एक अहम फैसले दिए हैं. उन्होंने कई मामलों में सीबीआई जांच के भी आदेश दिये. इस बार वह जज पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं. वह अगस्त में अवकाश ग्रहण करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ये फैसला बेहद अहम है. वह देश के राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश भी इस्तीफा भेजेंगे.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने शिकायत की कि अदालत में रहने के दौरान उन्हें कई बार तृणमूल कांग्रेस द्वारा विभिन्न तानों का शिकार होना पड़ा. वह कभी-कभी व्यंग्यात्मक भी होते रहे हैं. बुरी बातें कही गई हैं. इतना ही नहीं, उन्हें ‘चुनौती’ के सामने खड़ा कर दिया गया है. कहा गया है कि उन्हें मैदान में आकर बोलना चाहिए.

जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, ”मैं मंगलवार को जज पद से इस्तीफा दे दूंगा. जज के रूप में कल मेरा आखिरी दिन है. उस दिन मैं न्याय का कोई कार्य नहीं करूंगा. कितने मामले आधे-अधूरे हैं जिन्हें मेरी सूची से हटा दिया गया है. फिर हम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को मौखिक रूप से सूचित करेंगे. मैं मंगलवार को हमारे राष्ट्रपति को एक पत्र लिखूंगा. मेरा इस्तीफा पत्र पोस्ट करने के क्षण से ही प्रभावी होगा. यह संविधान और संविधान कानून का प्रावधान है. वह मंगलवार होगा. फिर मैं आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगा.”

रविवार को जस्टिस गंगोपाध्याय ने मीडिया से कहा कि इस बार वह सत्ता पक्ष की इच्छा पूरी करने जा रहे हैं. उनसे पूछा गया, ”क्या आप लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं?” जज ने कहा, ”अगर मैं किसी राजनीतिक दल में शामिल होता हूं, अगर वे मुझे टिकट देते हैं, तो मैं इस पर विचार करूंगा.”

जज ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है. उन्होंने कहा कि जो लोग शासक बनकर उभरे, वे राज्य को लाभ पहुंचाने में सक्षम नहीं दिखे. जब तक सख्त पहरा न हो. इसलिए मैं अच्छी समझ वाले लोगों से कहूंगा कि वे सही निर्णय लें. उन्होंने कहा, ”मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के कई लोगों ने मुझे चुनौती दी. चुनौती के दौरान उन्होंने मुझे जो आह्वान किया, उसने मुझे यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया. मैं इसके लिए सत्तारूढ़ दल को बधाई देना चाहता हूं.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने हाल के दिनों में कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में लोकप्रियता हासिल की है. उन्होंने कई अहम फैसले दिये. जिनमें से ज्यादातर सत्ता पक्ष के खिलाफ गए. कुणाल घोष सहित कई तृणमूल नेताओं ने न्यायमूर्ति गंगेपाध्याय से राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और लड़ने का आग्रह किया. रविवार को जज ने एक बार फिर उस कॉल की याद दिलाई. कहा, वह उस कॉल का जवाब देने जा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वह किस राजनीतिक दल में जा रहे हैं.

हालांकि जज ने कुछ नहीं कहा, लेकिन बीजेपी के कुछ सूत्रों का दावा है कि इस्तीफे के कुछ ही दिनों के भीतर अभिजीत गंगोपाध्याय उनकी पार्टी में शामिल होने वाले हैं. ऐसे में उन्हें भी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाएगी. इसलिए जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने फैसले के पीछे तृणमूल को धन्यवाद दिया. सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक गंगोपाध्याय ने कहा, एक न्यायाधीश सेवा करते समय इस्तीफा दे सकता है. संविधान ने उन्हें यह अधिकार दिया है. यह उनका निजी फैसला है. कहने के लिये कुछ नहीं बचा.”

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