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मोरबी पुल हादसा: सामने आया चौकाने वाला सच, जानिए अधिकारियों की लापरवाही

अहमदाबाद । मोरबी पुल हादसे (Morbi bridge accident) में पुलिस ने सभी 9 आरोपितों को अदालत में पेश किया। पुलिस ने ओरेवा कंपनी (Orewa Company) के दो मैनेजर समेत रिपेयरिंग कॉन्टेक्टर कंपनी (repairing contractor company) के संचालक पिता-पुत्र की रिमांड मांगी थी। इन चारों आरोपितों को शनिवार तक चार दिन की रिमांड पर भेजने का अदालत ने आदेश दिया, वहीं अन्य पांच आरोपितों को जेल भेजा गया है।

दूसरी तरफ मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं जिनका इलाज चल रहा है। अभी भी आपको लगता है कि यह पुल अचानक गिर गया, तो आप गलत हैं। इस दर्दनाक हादसे की स्क्रिप्ट तो दो साल पहले ही लिख दी गई थी, लेकिन लापरवाह अधिकारियों की नींद ही नहीं टूटी और नतीजा देश के सामने है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोरबी पुल के रखरखाव और मरम्मत का काम देखने वाली ओरेवा कंपनी का जनवरी, 2020 का लेटर सामने आया है। यह लेटर मोरबी जिला कलेक्टर को लिखा गया था। इसमें कहा गया है कि हम पुल की अस्थायी मरम्मत करके इसके खोल देंगे। इस पत्र के बाद भी अधिकारी शांत बैठे रहे और इतना बड़ा हादसा हो गया।

जनवरी, 2020 के इस पत्र में ऐसी चीजें सामने आई हैं, जिनसे पता चलता है कि पुल के ठेके को लेकर कंपनी और जिला प्रशासन के बीच एक लड़ाई चल रही थी। पत्र से पता चलता है कि ओरेवा ग्रुप पुल के रखरखाव के लिए एक स्थायी अनुबंध चाहता था। समूह ने कहा था कि जब तक उन्हें स्थायी ठेका नहीं दिया जाता तब तक वे पुल पर अस्थायी मरम्मत का काम ही करते रहेंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि ओरेवा फर्म पुल की मरम्मत के लिए सामग्री का ऑर्डर नहीं देगी और वे अपनी मांग पूरी होने के बाद ही पूरा काम करेंगे।



तमाम लापरवाहियों के बाद भी जिला प्रशासन की ओर से ओरेवा ग्रुप को ही स्थायी टेंडर दिया गया। जनवरी, 2020 में जारी इस लेटर के बाद भी पुल के संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के लिए ओरेवा ग्रुप के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। यह अनुबंध 2037 तक वैध था।

नगर पालिका ने झाड़ा पल्ला
पुल हादसे के बाद मोरबी नगर पालिका ने हादसे से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नगर पालिका के अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि ओरेवा ग्रुप ने अनुबंध के नियम व शर्तों का उल्लंघन किया है। उसने नगर पालिका को सूचित किए बिना ही पांच महीनों में पुल को खोल दिया था। उनका कहना है कि पुल को लेकर उनकी ओर से कोई सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किया गया था।

आपको बता दें कि गुजरात के मोरबी के झूलते पुल हादसे में 135 लोगों की जान जा चुकी है। इसमें दो लोग अभी लापता हैं। मामले की एसआईटी जांच कर रही है। पुलिस ने प्राथमिकी के आधार पर नौ लोगों को गिरफ्तार किया था।

मामले में ओरेवा कंपनी के प्रबंधकों के अलावा ब्रिज मरम्मत करने वाली कांट्रेक्टर कंपनी के दो लोगों समेत तीन सिक्युरिटी गार्ड और दो टिकट बुकिंग क्लर्क को गिरफ्तार किया था। नौ आरोपितों में ओरेवा कंपनी के प्रबंधक दिनेश दवे और दीपक पारेख, ब्रिज मरम्मत करने के कांट्रेक्टर देवांग परमार और प्रकाश परमार, टिकट क्लर्क मनसुख टोपिया और मादेव सोलंकी, सिक्युरिटी गार्ड अल्पेश गोहिल, दिलीप गोहिल और मुकेश चौहाण शामिल हैं।

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