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इन बैंकों के सस्ते हुए लोन, रेपो रेट कम होने के बाद किसे मिलेगा ज्यादा फायदा, जानें

June 09, 2025

नई दिल्‍ली । आरबीआई(RBI) ने जिस तरह रेपो रेट(Repo Rate) में आधा प्रतिशत (50 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती(Cuts) की है, उसके बाद अब बैंक भी अपने कर्ज देने की दरें (लेंडिंग रेट्स) कम कर रहे हैं। खासकर सरकारी बैंक इसकी अगुवाई कर रहे हैं। मजे की बात ये है कि इस बार पुराने कर्जदारों को नए कर्जदारों के मुकाबले ज्यादा फायदा मिल सकता है। क्योंकि, बैंक होम लोन पर जो ‘अतिरिक्त चार्ज’ (स्प्रेड) लगाते हैं, उसमें बदलाव कर सकते हैं। पहले से ही बाजार में हिस्सा बढ़ाने की होड़ में ये दरें काफी कम थीं।

किन बैंकों ने क्या किया?


बैंक ऑफ बड़ौदा: अपनी रेपो-लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) में आधा प्रतिशत की कटौती की है, जो 7 जून से लागू हो गई। अब उसकी RLLR 8.15% है।

पंजाब नेशनल बैंक (PNB): अपनी RLLR को आधा प्रतिशत घटाकर 8.35% कर दी है (9 जून से), लेकिन उसने अपनी एमसीएलआर (MCLR) दरें नहीं बदली हैं।

बैंक ऑफ इंडिया: इसने भी अपनी रेपो-आधारित लेंडिंग रेट में आधा प्रतिशत की कटौती करके उसे 8.35% कर दिया है (6 जून से)।

यूको बैंक: इसने दोनों दरों (RLLR और MCLR) में कटौती की है। RLLR आधा प्रतिशत घटाकर 8.30% (9 जून से)। MCLR में सभी अवधियों के लिए 0.10% (10 बेसिस पॉइंट्स) की कमी की। अब उसकी एक साल की MCLR 9% है।

चडीएफसी बैंक: इसने 7 जून से अपनी एमसीएलआर में सभी अवधियों के लिए 0.10% की कटौती की है। अब उसकी ओवरनाइट और एक महीने की दरें 8.9% हैं।

पुराने कर्जदारों को क्यों मिलेगा ज्यादा फायदा?

आरबीआई के नियम कहते हैं कि बदलती दर (फ्लोटिंग रेट) वाले कर्ज की दरों को रेपो रेट के हिसाब से खुद-ब-खुद एडजस्ट करना होता है। इसका मतलब ये है कि जिन लोगों का पहले से लोन चल रहा है (खासकर जो RLLR/EBLR से जुड़े हैं), उनकी ब्याज दर और ईएमआई ऑटोमैटिक कम हो जाएगी।

टीओआई की खबर के मुताबिक नए कर्ज लेने वालों को ये पूरा फायदा नहीं मिल सकता। क्योंकि, बैंक अपना मुनाफा बचाने के लिए रेपो रेट के ऊपर जो अतिरिक्त चार्ज (स्प्रेड) लगाते हैं, उसे बढ़ा सकते हैं। इससे होम लोन की नई दरें उतनी नहीं घटेंगी, जितनी रेपो रेट में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा में कटौती के बाद नए कर्जदारों के लिए होम लोन की दरें अब 8% से शुरू होती हैं।

पुराने कर्जदारों को नए लोगों से ज्यादा फायदा मिलने की एक बड़ी वजह है पहले से चल रही जबरदस्त प्रतिस्पर्धा। बाजार में हिस्सा बढ़ाने के लिए कई बैंक, खासकर जो बड़े खिलाड़ियों को टक्कर दे रहे थे, पहले ही बहुत सस्ते दरों पर लोन दे रहे थे।

सरकारी बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कटौती से पहले ही 30 लाख रुपये तक के लोन पर सिर्फ 7.85% की दर दे रहे थे।

केनरा बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक 7.90% पर लोन दे रहे थे। केनरा की यह दर 75 लाख रुपये से ऊपर के लोन पर लागू थी, बाकी 30 लाख तक के लिए।

प्राइवेट बैंकों में पिछले हफ्ते तक साउथ इंडियन बैंक सबसे सस्ता था (30 लाख तक के लोन पर 8.30%)। करूर वैश्य बैंक 8.45%, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस और तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक 8.50% पर लोन दे रहे थे। बंधन बैंक, एक्सिस बैंक और कर्नाटक बैंक की दरें क्रमशः 8.66%, 8.75% और 8.78% थीं।

एफडी पर भी असर

बैंकों के मुनाफे पर दबाव बनने और सिस्टम में नकदी बढ़ने की वजह से आशंका है कि वे फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर मिलने वाले रिटर्न भी कम कर देंगे। इससे बचत करने वालों के लिए एफडी कम आकर्षक हो जाएंगी।

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