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Maharashtra : शरद पवार के गढ़ बारामती में सेंध लगाने की तैयारी में BJP, जानिए क्या होगा असर ?

मुंबई । महाराष्ट्र (Maharashtra) में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के दिग्गज नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। खबर है कि पार्टी राज्य के 16 क्षेत्रों को ‘मुश्किल सीटें’ मान रही है। इसमें पवार का क्षेत्र बारामती भी शामिल है। फिलहाल, राकंपा सुप्रीमो की बेटी सुप्रिया सुले यहां से सांसद हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र की 48 में से 45 सीटों से ज्यादा जीतने पर फोकस किया है।

पवार पर सियासी हमले जारी
हाल ही के कुछ समय में भाजपा और उनके सहयोगी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समूह लगातार पवार परिवार को निशाना बना रहा है। खास बात है कि भाजपा नेताओं ने इस बात की संभावनाएं जताई थी कि राकंपा विधायक रोहित पवार के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियां कार्रवाई कर सकती हैं। वहीं, शिंदे कैंप के प्रवक्ता विपक्ष के नेता अजित पवार और सुले पर निशाना साध रहे हैं।


इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी पवार की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं है और नेताओं के गढ़ भी किसी दिन खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा था कि भाजपा 2024 लोकसभा चुनाव में देश में 400 से ज्यादा सीटें जीतने की तैयारी कर रही है। इसमें उन्होंने बारामती का भी जिक्र किया था।

इस नेता को मिली जिम्मेदारी
हाल ही में मुंबई में महाराष्ट्र भाजपा कोर कमेटी की बैठक आयोजित हुई थी। उस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी इकाई से मुश्किल सियासी इलाकों में भी आक्रामक तरीके से काम करने के लिए कहा था। अब खबर है कि भाजपा नेतृत्व ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बारामती में जारी तैयारियों को देखने के लिए कहा है। इसके लिए वह क्षेत्र का दौरा करेंगी।

अमेठी की जीत का सहारा
साल 2019 में भाजपा ने स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाकर गांधी परिवार के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी से राहुल को हराया था। अब भाजपा अपनी इस जीत का भी इस्तेमाल करती नजर आ रही है। उस दौरान ईरानी ने वंशवाद और विकास नहीं होने की बात पर जोर दिया था। हालांकि, पवार के गढ़ के मामले में हालात अलग हो सकते हैं।

दरअसल, बारामती को ‘विकास मॉडल’ के रूप में भी माना जाता है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मान चुके हैं। वह कई बार क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं, जहां पवार और उनके काम की तारीफ की गई। राकंपा प्रमुख ने साल 1991 से लेकर 2009 तक बारामती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है।

क्या होगा असर?
जानकार कहते हैं कि बारामती में पवार के खिलाफ जाने की भाजपा की रणनीति को उन्हें हराने के बजाए राज्य की राजनीति में व्यस्त रखने के बारे में हो सकता है। बारामती में भाजपा पहले ही 6 विधानसभा सीटें अपने नाम कर चुकी है। इसके अलावा ‘मिशन बारामती’ को लेकर भाजपा का कहना है कि वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसके अलावा पवार बड़े विपक्षी नेताओं में शामिल हैं। ऐसे में बारामती में सियासी जंग छेड़कर पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भी संदेश देना चाहेगी।

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