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संवैधानिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं का पालन करने और उन्हें संरक्षित करने का आग्रह किया मल्लिकार्जुन खड़गे ने


नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Khadge) ने मंगलवार को संवैधानिक मूल्यों (Constitutional Values) और संसदीय परंपराओं (Parliamentary Traditions) का पालन करने और उन्हें संरक्षित करने का (To Follow and Preserve) आग्रह किया है (Urges), क्योंकि देश (Country) संसदीय कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने में (In Effectively Performing Parliamentary Duties) आगे बढ़ रहा है (Is Moving Forward) ।


भारतीय संसद की समृद्ध विरासत की स्मृति में संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए, खड़गे ने याद दिलाया कि संविधान सभा की बैठकें कक्ष में आयोजित की गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत का संविधान भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति का आधार है। इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा ने 1946 से 1949 तक 2 साल, 11 महीने और 17 दिनों की अवधि के लिए अपनी बैठकें आयोजित की थी।

उन्होंने आगे कहा कि आज, हम विनम्रतापूर्वक भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा किए गए अभूतपूर्व योगदान को याद करते हैं। यह जी.वी. मावलंकर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान को याद करने, संविधान सभा, प्रोविजनल संसद, पहली और बाद की सभी लोकसभाओं के सदस्यों के सामूहिक योगदान को स्वीकार करने का भी अवसर है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सांसदों के सामूहिक प्रयासों ने एक राष्ट्र के रूप में भारत के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। संस्थानों की सफलता संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों को बनाए रखने में निहित है। उन्होंने कहा कि हमें संवैधानिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं का पालन करने और उन्हें संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए क्योंकि देश संसदीय कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने और हमारे राष्ट्र के विकास के लिए हमारे प्रयासों में आगे बढ़ रहा है।

इस समय यह सब पिछले 75 सालों में पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर सांसदों के सामूहिक और समर्पित प्रयास के कारण है। उन्होंने कहा, ”आज जब हम संसद भवन को अलविदा कह रहे हैं और नए संसद भवन की ओर बढ़ रहे हैं, तो मैं भावनाओं और करुणा से अभिभूत हूं। बेशक, हम नए संसद भवन में अपने संसदीय कर्तव्यों को जारी रखेंगे, लेकिन पुराने भवन को मिस करेंगे।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सेंट्रल हॉल भारत की आजादी की पूर्व संध्या पर पंडित नेहरू के ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ भाषण का गवाह था। और, कल प्रधानमंत्री जी ने भी अपने भाषण में इसका जिक्र किया था और इस ऐतिहासिक अवसर पर आपने ये याद किया इसके लिए मैं आपका आभारी हूं।

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