खरी-खरी

नफरत का मणिपुर…इंसानियत का श्मशान…

यह होता है फितरत का नतीजा… अलगाव का जहर….जात-पांत का संघर्ष… वहां मौत बिखरी पड़ी है…लाशों के ढेर लगे हैं…जीवन सूना हो चुका है…कुछ भी अपना नहीं बचा…न घर रहा न जमीन…न कारोबार बचा और न रोजगार…यह हालत है इस भारत देश की चमकती-दमकती मणि, यानी मणिपुर की…लोग वीरानों में टेंट-तंबू में जागते हुए रात गुजार रहे हैं…जो मिल रहा है वह खा रहे हैं… नहीं मिल रहा है तो भूख की कसक में जिंदगी गुजार रहे हैं… किसी की मां नहीं बची, किसी का बेटा नहीं रहा…किसी ने भाई खो दिया तो कोई बहन से जुदा हो गया… हंसती-खेलती जिंदगी, खिलखिलाता परिवार और सपनों में जीती जिंदगियां हकीकत का श्मशान बनी हुई हैं…इस छोटे से राज्य में हुआ बड़ा विध्वंस दो समुदायों की उसी नफरत का नतीजा है, जिसके बीज पूरे देश में बोए जा रहे हैं… फर्क सिर्फ इतना है कि यहां हिंदू-मुस्लिम नहीं कुकी और मैतेई समुदायों ने वो कत्लेआम मचाया कि जमीन खून से रंग गई…जहां मैतेई समुदाय का जोर चला वहां कुकी समुदाय ने पनाह मांगी…उनके घर, जमीन, कारोबार पर मैतेइयों का कब्जा हो गया और जहां कुकी समुदाय की बहुतायत रही वहां से मैतेई खदेड़े गए… दोनों ही जाति के लोग अपनी जीत की जंग में सब कुछ हार गए…एक राज्य की धरती पर दो समुदायों का विभाजन हो गया…दोनों ही समुदायों की संस्कृति, सभ्यता, अपनापन नफरत की भेंट चढ़ गया…लाशों के ढेर में न अपनों की खोज हो पा रही है न जिंदा बचे लोगों के भविष्य की राह नजर आ रही है…जिस राज्य में यह सब कुछ हुआ वहां भाजपा का ही शासन है और केंद्र में भी भाजपा सेना से लेकर सुरक्षा तक का जिम्मा संभाल रही है…देश के गृहमंत्री अमित शाह भी वहां दौरा कर आए, लेकिन नफरत की आग को वो भी ठंडा नहीं कर पाए…हजारों पुलिस के जवान, सेना के सुरक्षा बल लगाए… फौजी विमान तक उड़ाए, लेकिन मौत के तांडव पर काबू नहीं कर पाए, क्योंकि जिनके अपने छिन गए, जिनके-घर-बार लुट गए उनके पास खोने को कुछ बचा नहीं है…और दिल की आग सब कुछ जला डालने के लिए बेताब है…नफरत की यह आंधी उस चिंगारी का पता पूछ रही है, जिसने इस दावानल को भडक़ाया…कराहती इंसानियत दुआ कर रही है कि यह चिंगारी यहीं दफन हो जाए…लाशों के ढेर, अपनों की जुदाई और जिंदगी की ठोकरें अपने कदम आगे न बढ़ा पाए…मणिपुर जिस नफरत का आगाज बना है वो इस देश का अंजाम न बन पाए…सोचें-समझें… जब नफरत की आग में घर जलते हैं तो भडक़ाने वाले दुबककर बैठ जाते हैं और बेगुनाह लोग जान ही नहीं जिंदगी भी गंवा डालते हैं…मणिपुर की हकीकत यह है कि वहां लाशें जीत गईं, क्योंकि जो मरा वो मुक्त हो गया…लेकिन जिंदगी हार गई, क्योंकि जो बच गया उसका जीवन मुश्किल ही नहीं, मौत से भी बदतर है…

Share:

Next Post

मोहन भागवत बोले- जो नहीं चाहते भारत आगे बढ़े, वह समाज को बांटने की कोशिश कर रहे

Thu Jun 22 , 2023
मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जो नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े, वे यहां के समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। नागपुर के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद भागवत ने कहा, राक्षसी ताकतें भारत की प्रगति का विरोध करती हैं और आंतरिक कलह भड़काकर […]