बुरहानपुर। इस बार बारिश (Rain) की खेंच से लगभग हर किसान (Farmer) परेशान हैं। हर साल जून माह में बारिश लगभग हो जाती है और किसानों (Farmer) को दोबारा बोवनी की स्थिति कम ही बनती है, लेकिन इस बार गर्मी अब भी अपने शबाब पर है। ऐसे में वह किसान जो आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम नहीं हैं एक बार अच्छी बारिश की उम्मीद में खरीफ की बोवनी करने के बाद अब पछता रहे हैं। यह किसान सीमांत किसान कहलाते हैं। अब उनमें दूसरी बार बोवनी करने की क्षमता नहीं है, क्योंकि आर्थिक रूप से टूटे हुए हैं। ऐसे में बुरहानपुर जिले की नेपानगर तहसील के तहत आने वाली ग्राम पंचायत घाघरला में अधिकांश सीमांत किसान मनरेगा योजना के तहत कंटुर ट्रंच खोदने के काम में लग गए हैं। वह यहां मजदूरी करने लगे हैं।
पंचायत द्वारा यहां पहाड़ी पर पानी रोकने के लिए कंटुर ट्रंच का काम कराया जा रहा है। जिसमें 250 से अधिक मजदूर काम कर रहे हैं। इसमें 50 से ज्यादा सीमांत किसान हैं। ग्राम पंचायत सचिव प्रेमसिंह पटल्या वास्कले के मुताबिक पहले हालत यह थी कि काम के लिए मजदूर मुश्किल से मिल पाते थे, लेकिन इन दिनों सीमांत किसान भी मजदूरी के लिए आ रहे हैं। जिसके कारण पंचायत ने मजदूरों की संख्या बढ़ा दी है। पूरी पहाड़ी पानी रोकने के लिए कंटूर ट्रंच बनाए जा रहे हैं। करीब 4 लाख की लागत से यहां कंटूर ट्रंच तैयार कराए जा रहे हैं।
नहीं कर सकते दोबारा बोवनी, इसलिए कर रहे मजदूरी
ग्राम घाघरला के पर्यावरणप्रेमी कडु पाटिल के मुताबिक सीमांत किसान बारिश की खेंच से परेशान हो गया है। बारिश नहीं होने से पहले जो बोवनी की थी वह अब किसी काम की नहीं रही। उन्हें अब दोबारा बोवनी करना पड़ेगी, लेकिन हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि दोबारा बोवनी कर पाएं। इसलिए मनरेगा में काम कर रहे हैं। गांव में ही काम मिल रहा है इसलिए यहीं लग गए। अगर यहां काम नहीं मिलता तो रोजगार की तलाश में कहीं न कहीं भटकना पड़ता। यह स्थिति वर्तमान में जिले की अधिकांश पंचायतों में बन रही है। जहां सीमांत किसान अब मनरेगा मजदूर बनने का मजबूर है।
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