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12 मई है बेहद खास, इस दिन कर लें ये एक उपाय, सालभर बरेसगी माँ लक्ष्मी की कृपा!

नई दिल्‍ली। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में कोई भी मांगलिका कार्य करने के लिए पहले शुभ मुहूर्त देखना अनिवार्य है. बिना शुभ मुहूर्त के ना तो शादी-विवाह संपन्न होते हैं और ना ही गृह प्रवेश, मुंडन आदि. लेकिन साल में कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं जिन पर मांगलिक कार्य (demanding work) करने के लिए मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती है. आने वाली 12 मई भी ऐसी ही एक तारीख है. आइए जानते हैं 12 मई इस बार क्यों खास है और इस दिन कैसे आपको मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु (Maa Lakshmi and Lord Vishnu) की विशेष कृपा मिल सकती है.

क्यों खास है 12 मई?
इस बार 12 मई को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) पड़ रही है. इसके अलावा कई विशेष योग भी इस दिन बन रहे हैं. 12 मई को शुभ हर्षण योग का निर्माण होगा. साथ ही तीन प्रमुख ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे. 12 मई को चंद्रमा स्वराशि कन्या में रहेगा. इसके अलावा शनि स्वराशि कुंभ में तो गुरु स्वराशि मीन (Pisces) में विराजमान रहेंगे. ज्योतिषविदों के मुताबिक, इस दिन कोई भी शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है. व्रत और पूजा पाठ करने वालों को बड़ा पुण्य मिलेगा.



मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
वैशाख मास की एकादशी तिथि बुधवार, 11 मई 2022 को शाम 7 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर गुरुवार, 12 मई 2022 को शाम 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. इस दौरान आप किसी भी शुभ पहर में भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा कर सकते हैं.

व्रत और पूजा
हिंदू शास्त्र के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की साधना करते हुए इस व्रत को रखना चाहिए. व्रत रखने वाला व्यक्ति रात्रि जागरण भी करता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से उसे वर्षों की तपस्या का पुण्य प्राप्त होता है. एकादशी के दिन व्रती को एक बार दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करके व्रत का संकल्प लेकर षोडषोपचार सहित श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर भगवद् कथा का पाठ करना चाहिए.

धन प्राप्ति के लिए करें ये उपाय
इस दिन तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं. पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें. पीले फल, वस्त्र, फल, फूल मंदिर में जाकर श्रीहरि को अर्पित करें. इसके बाद खीर में तुलसी का पत्ता डालकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं और भगवान विष्णु का गंगाजल और केसर दूध से अभिषेक करें.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव समान्‍य जानकारी के लिए हैं हम इसकी सटीकता की जांच का दावा नही करते हैं।

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