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मायावती खेल रहीं ‘सस्पेंस गेम’, क्या इकलौती विधायक रामबाई का कटेगा टिकट

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही, जिसके बसपा किंगमेकर बनने की जद्दोजहद में जुटी है. बसपा ने गुरुवार को 9 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी लिस्ट जारी की है, जिसमें 3 सामान्य और 6 आरक्षित सीटों पर टिकट दिए हैं. बसपा इससे पहले 7 प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर चुकी है. इस तरह तरह अभी तक 16 सीटों पर कैंडिडेट घोषित किए है, लेकिन मायावती ने अपनी एकलौती विधायक रामबाई का टिकट कन्फर्म नहीं किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि रामबाई को लेकर बसपा में क्यों कशमकश की स्थिति है?

बसपा ने मध्य प्रदेश चुनाव में जिन 9 कैंडिडेट के नामों का ऐलान किया है, उसमें में जबलपुर पूर्व से बालकिशन चौधरी, भिंड से रक्षपाल सिंह कुशवाहा, चंदला से दीनदयाल अहिरवार, अमरपाटन से छन्गे लाल कौल, बैरसिया से विश्राम सिंह बौद्ध, सीहोर से कमलेश दोहरे, सोनकच्छ से डॉ एसएस मालवीय, घट्टिया से जीवन सिंह देवड़ा और गुन्नौर से देवीदीन आशु के नाम शामिल हैं.

वहीं, इससे पहले बसपा ने सात उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी. सतना की रामपुर बघेलान सीट से मणिराज सिंह पटेल, मुरैना जिले की दिमनी सीट से बलवीर दंडोतिया, निवाड़ी सीट से अवधेश प्रताप सिंह राठौड़, राजनगर सीट से रामराजा पाठक, सतना की रैगांव सीट से देवराज अहिरवार, रीवा की सेमरिया सीट से पंकज सिंह पटेल, रीवा की सिरमौर सीट से विष्णु देव पांडे को मायावती ने टिकट दिया है.

रामबाई पर सस्पेंस?
बसपा ने एमपी चुनाव के लिए अभी तक 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुकी है, लेकिन पथारिया विधानसभा सीट से पार्टी विधायक रामबाई के नाम का ऐलान अभी तक नहीं किया गया है. रामबाई तेत-तर्रार नेता मानी जाती हैं और 2018 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधायक चुनी गई थीं. इसके अलावा बसपा के दूसरे विधायक संजीव सिंह चुने गए थे. 2020 में सत्ता परिवर्तन हुआ तो संजीव सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया, लेकिन रामबाई बसपा में बनी रही.


हालांकि, रामबाई सिंह के भी बीजेपी में जाने की चर्चा थी, लेकिन उन्होंने उस समय शिवराज सरकार को समर्थन करने का फैसला किया था. ऐसे में रमाबाई बसपा में रहने के बाद भी मायावती ने अभी तक उनके नामों की घोषणा नहीं की जबकि पार्टी के सारे कार्यक्रमों में भी सक्रिय रही. आकाश आनंद ने दलित-आदिवासियों मुद्दों को लेकर रैली की थी तो उसमें भी रामबाई ने शिरकत किया था. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि रामबाई का टिकट कन्फर्म नहीं हो पा रहा है.

रामबाई को नहीं मिलेगा टिकट?
रामबाई की नजदीकियां कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के भी है. प्रदेश सरकार के मंत्रियों भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा से लेकर गोविंद सिंह से भी हैं. हालांकि, गोविंद सिंह और भूपेंद्र सिंह को अपना रिश्तेदार बताती रही हैं, जबकि गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को राखी बांधने के नाते व बड़े भाई कहती रही हैं. सीएए का समर्थन करने के चलते रामबाई को मायावती ने बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन बाद में उनका निष्कासन खत्म कर दिया गया था. बसपा जिस तरह से उनके टिकट को लेकर सस्पेंस बना दिया है, उससे रामबाई की चिंता बढ़ती जा रही है.

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